वीर सावरकर ने हिंदू अस्मिता की पहचान के लिए ‘हिंदुत्‍व’ शब्‍द गढ़ा

खबरें अभी तक। भारत के साथ हिंदू अस्मिता की पहचान के लिए ‘हिंदुत्‍व’ शब्‍द गढ़ने वाले स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की सोमवार को 52वीं पुण्‍यतिथि है. आजादी की लड़ाई में योगदान की वजह से उनको स्वातंत्र्यवीर और वीर सावरकर के नाम से भी नवाजा गया. वीर सावरकर का राजनीतिक दर्शन तर्कवाद, मानववाद , सार्वभौमिकता और वास्‍तविकता के धरातल के इर्द-गिर्द केंद्रित है.

क्रांतिकारी जीवन-
28 मई, 1883 को नासिक में जन्‍मे विनायक दामोदर सावरकर ने भारत और ब्रिटेन में पढ़ाई के दिनों से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था. ब्रिटेन में वह इस सिलसिले में इंडिया हाउस, अभिनव भारत सोसायटी और फ्री इंडिया सोसायटी से जुड़े. 1857 के भारत के प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम पर उन्‍होंने ‘द इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेंस’ (The Indian war of Independence) पुस्‍तक लिखी. अंग्रेजी राज ने इस किताब को प्रतिबंधित कर दिया. क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस से जुड़े होने के कारण उनको 1910 में गिरफ्तार किया गया. उनको कुल 50 वर्षों की दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और अंडमान एवं निकोबार द्वीप में स्थित सेल्‍युलर जेल में रखा गया. हालांकि 1921 में वह रिहा हो गए.

जेल में रहने के दौरान सावरकर ने ‘हिंदू राष्‍ट्रवाद’ और ‘हिंदुत्‍व’ अवधारणा पर काफी कुछ लिखा. वह हिंदू महासभा के अध्‍यक्ष भी रहे. 26 फरवरी 1966 को उनका निधन हो गया. अंडमान और निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्‍लेयर के एयरपोर्ट का नाम वीर सावरकर अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट रखा गया है. कुछ समय पहले शिवसेना ने सरकार से उनको मरणोपरांत भारत रत्‍न देने की मांग की थी