बुंदेलखंड के किसानों ने खेती करने का ढूंढ़ा नया रास्ता, अब हो रहे है मालामाल

खबरें अभी तक. हरियाली अरसे तक बुंदेलखंड से रूठी रही। साल दर साल सूखे की मार झेलने वाले बुंदेलखंड की धरती मानो सूख गई। बदहाली के आगे थक हार कर न जाने कितने किसानों ने इहलीला समाप्त की। लेकिन धीरे-धीरे ही सही, अब हालात सुधर रहे हैं। लेमन ग्रास के नन्हें-नन्हें पौधे सूखी धरती को हरियाली का तोहफा देते दिख रहे हैं। बुंदेलखंड के किसानों की आस लौट आई है। खुशहाली उनके जीवन में दस्तक देने लगी है। सरकार बुंदेलखंड में लेमन ग्रास की खेती को प्रोत्साहित कर रही है।

2015 में हुई थी शुरुआत

उप्र राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड की पहल भी रंग ला रही है। 2015 में बोर्ड ने यहां लेमन ग्रास की खेती का प्रोजेक्ट शुरू किया था। प्रयोग सफल रहा। अब बुंदेलखंड के बड़े भूभाग में इसे विस्तार दिया जा रहा है। किसानों को पौध, प्रशिक्षण और वित्तीय सहयोग उपलब्ध कराया जा रहा है।

बांदा, उत्तरप्रदेश के किसान विपिन सिंह का उदाहरण सामने है। जो यहां के बदलते हालात की बानगी देता है। लेमन ग्रास की खेती ने विपिन की उम्मीदों और हौसले को चौगुना कर दिया है। परंपरागत फसलों की खराब स्थिति को देखते हुए उन्होंने लेमन ग्रास की खेती शुरू की। जो अब उन्हें अन्य फसलों की अपेक्षा तीन से चार गुना अधिक कमाई करा रही है।

विपिन बताते हैं कि इस खेती में कोई नुकसान नही होता है। पौधो में न तो किसी प्रकार का कोई रोग लगता है और न ही जानवरों से नुकसान पहुंचता है। जानवर इस घास को नहीं चरते हैं। जिससे एक बार लगाने के बाद पांच साल तक न रखवाली करनी पड़ती है और न ज्यादा कोई खर्च होता है। इसके लिए किसी विशेष मिट्टी की भी जरूरत नहीं है।