नई नहीं है हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों की मौजूदगी, पहले भी दे चुका है दखल

खबरें अभी तक। चीन द्वारा पूर्वी हिंद महासागर में 11 युद्धपोतों की तैनाती करने के बाद भारत की चिंता बढ़ गई है। चीन ने यह कदम उस वक्‍त उठाया है जब मालद्वीप राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है और वहां पर आपातकाल का समय 30 दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। जहां पर इन जहाजों की तैनाती की गई है वह भारत के न सिर्फ काफी करीब है बल्कि इस दौरान ऐसा वक्‍त भी आया जब भारतीय नौसेना के पोत और चीनी युद्ध पोत काफी करीब आ गए थे। मीडिया रिपोर्टर्स में यह बात भी सामने आई है कि इसके जवाब में भारत ने भी अपने 8 युद्धक जहाज हिन्द महासागर में भेजे हैं जो चीनी गतिविधियों पर नजर रख सकेंगे। यहां आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि जब चीनी नौसेना के युद्धपोत हिंद महासागर में दिखाई दिए हों। इससे पहले चीन के करीब 14 युद्धपोत यहां पर दिखाई दिए थे। इसके अलावा अप्रेल और जुलाई में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था।

नौसेना प्रमुख का कड़ा सुर-
चीन के इस रवैये पर भारतीय नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने कड़ा एतराज किया है। उनका कहना है कि चीन लगातार इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दे रहा है वह चाहे हिंद महासागर में अपने युद्धपोत बेड़े को भेजना हो या फिर डोकलाम में अपनी सेना को भेजना। इस तरह के फैसले ने क्षेत्र में तनाव बढ़ाने का काम किया है। इसके अलावा उनहोंने भारत से लगी सीमा पर चीन द्वारा अपने पश्चिमी कमांड के तहत हवाई घेराबंदी करने पर भी कड़ी नाराजगी जताई है। यहां पर चीनी सेना ने हल्के और बहुआयामी युद्धक विमान जे-10 और सिंगल सीटर ट्विन इंजन फाइटर जेट जे-11 को तैनात किया है।

चीन का मालद्वीप में निवेश
आपको बता दें कि चीन ने मालद्वीप में भारी निवेश किया हुआ है और इन दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भी हो रखा है। इतना ही नहीं मालद्वीप में चीन फ्रेंडशिप ब्रिज के साथ-साथ एक पोत का निर्माण भी कर रहा है। मालद्वीप चीन के लिए रणनीतिक तौर पर काफी मायने रखता है। ऐसा इसलिए है कि वह यहां से भारतीय नौसेना पर निगाह रख सकता है। इससे पहले वह श्रीलंका के हंबनटोटा में पूरी तरह से अपनी दखल दे चुका है। उसकी पूरी कोशिश हिंद महासागर में भारतीय नौसेना को सीमित करना और उस पर निगाह रखना है जो भारतीय रणनीति के हिसाब से काफी खतरनाक है।