Film Review: अक्षय के बिना कमजोर लगती है ‘अय्यारी’

खबरें अभी तक। फिल्म अय्यारी की कहानी दो आर्मी ऑफिसर्स की कहानी है, जिनमें से एक गुरु और दूसरा चेला है. ये दोनों ऑफिसर्स ही देशभक्ति से भरे हुए हैं. लेकिन अचानक इनके आपसी रिश्ते बिगड़ जाते हैं और इनकी दोस्ती दुश्मनी में बदल जाती है. गुरु कर्नल अभय सिंहका देश के सिस्टम पर पूरा भरोसा है. लेकिन उनका चेला मेजर जय बख्शी अलग सोचता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उसने सर्वेलेंस के जरिए एक ऐसे घोटाले के बारे में कुछ पता चल गया है.

‘अय्यारी’ फिल्म एक बॉलीवुड थ्रिलर फिल्म है जिसे डायरेक्ट किया है नीरज पांडे ने. इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा और मनोज बाजपेयी मुख्य भूमिकाओं में हैं. यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है. एक गुरु और शिष्य की जोड़ी की यह फिल्म ‘अय्यारी’ दो हिम्मत वाले और समझदार आर्मी वालों की कहानी सुनाती है जो अपने वैचारिक मतभेद के चलते एक-दूसरे के विरोध में खड़े हो जाते हैं.

सबसे पहले बात डायरेक्टर नीरज पांडे की. जब नीरज कोई फिल्म बनाते हैं, उनसे एक बड़ी हिट की उम्मीद की जाती है. इससे पहले वो ‘अ वेडनेसडे’, ‘बेबी’, ‘स्पेशल 26’, और ‘एम. एस धोनी’ जैसी फिल्में बना चुके हैं. लेकिन इस बार उनकी कोशिश कुछ फीकी नजर आई. फिल्म ‘अय्यारी’ नीरज की पिछली फिल्मों का लेवल बनाए रख पाने में कुछ पिछड़ी हुई सी लगती है. इसका मुख्य कारण इसकी स्क्रिप्ट और एडिटिंग है.

फिल्म ‘अय्यारी’ का स्क्रीनप्ले बहुत लंबा, उबाऊ और थकाऊ लगता है. अगर एक्टिंग की बात की जाए तो यह फिल्म पूरी तरह से मनोज बाजपेयी की है. इसके अलावा अन्य कमाल के एक्टर्स जैसे नसीरुद्दीन शाह, आदिल हुसैन, रकुल प्रीत और अनुपम खेर को फिल्म में तरीके से प्रयोग नहीं किया गया है, जिससे उनकी एक्टिंग उभरकर सामने नहीं आ पाई है. पूजा चोपड़ा इस फिल्म में बस पाला छूने के लिए ही आई हैं.

फिल्म में म्यूजिक अंकित तिवारी, राम संपत, रोचक कोहली और संजय चौधरी का है, जो कि ठीक-ठाक ही लगता है. किसी थ्रिलर के हिसाब से क्लाइमेक्स उसकी सबसे बड़ी जरूरत होती है, लेकिन फिल्म ‘अय्यारी’ का क्लाइमेक्स भले ही नीरज पांडे ने डायरेक्ट किया है, लेकिन बहुत हड़बड़ी में पूरा किया हुआ लगता है. कुल मिलाकर अपनी पिछली सफलताओं के लिए पहचाने जाने वाले नीरज पांडे इस बार अपनी सफलता की रेसेपी दोहरा नहीं पाए हैं.

भले ही उन्होंने एक थ्रिलर बनाने की अच्छी कोशिश की, लेकिन दर्शकों का ध्यान बांधे रखने में डायरेक्टर सफल नहीं हुए. इसका कारण फिल्म की लंबाई और एडिटिंग कही जा सकती है. अगर मनोज बाजपेयी और सिद्धार्थ मल्होत्रा के कुछेक अच्छे डायलॉग छोड़ दिए जाएं, तो 160 मिनट की इस आर्मी फिल्म को देखना आप अवॉयड कर सकते हैं.