मेघालय: रुझानों में एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी, क्या बनाएगी सरकार या…

खबरें अभी तक: मेघालय में 59 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव हुए हैं जो पार्टी मजबूत तरीके से उभरी है और जो सबसे बड़ी पार्टी बन रही है, वो एनपीपी है यानि नेशनल पीपुल्स पार्टी.. एक सीट पर चुनाव नहीं हो सका। बहुमत पाकर राज्य में सरकार बनाने का आंकड़ा 30 सीटों का है. ऐसे में लग रहा है कि राज्य में फिर बीजेपी की अगुवाई वाली नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस सरकार बनाएगा.

एनपीपी क्या है

वैसे हम ये जानते हैं कि एनपीपी क्या है. कब बनी, इसका नेता कौन है. अब तक का इसका सियासी सफर कैसा रहा है. इस बारे में जानने की उत्सुकता देशभर में है. आपको ये भी बता दें कि एनपीपी राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी रही है और इस बार उसने अपनी सीटों में इजाफा भी किया है.

नेशनल पीपुल्स पार्टी का गठन कभी कांग्रेसी नेता रहे और लोकसभा के पूर्व स्पीकर पीए संगमा ने किया था. बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी और शरद पवार के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानि एनसीपी का गठन किया था. ये पार्टी पार्टी जुलाई 2012 में बनी. फिर 07 जून 2019 को इसको राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी मिल गया. ये नार्थईस्ट की अकेली पार्टी है, जिसे राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल है. हालांकि इसका असर मेघालय तक ही है.

संगमा ने इसे नेशनल लेबल पर लांच किया था

वर्ष 2012 में ये पार्टी बनाने के बाद पीए संगमा ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर लांच किया. उन्होंने बीजेपी के साथ अगुवाई वाली एनडीए के साथ तालमेल की घोषणा भी की. इस पार्टी के दरवाजे सभी के लिए खोले गए लेकिन मूलरूप से ये हमेशा से मेघालय के ट्राइबल आधारित पार्टी ज्यादा रही.

पिछले चुनावों में 19 सीटें जीती थीं

एनपीपी ने वर्ष 2017 के मणिपुर विधानसभा चुनावों में 09 उम्मीदवार खड़े किए, जिसमें उसने 04 सीटें जीतीं. एनपीपी ने वर्ष 2018 के मेघालय विधानसभा चुनावों में 19 सीटें जीतीं. हालांकि तब सत्ताधारी कांग्रेस अकेली बड़ी पार्टी के तौर पर चुनाव जीतकर आई थी. लेकिन नार्थईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस ने मिलकर यहां सरकार बनाई. कोनार्ड संगमा राज्य के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद मेघालय में उसने उपचुनाव में एक सीट और जीतीलेकिन इस बार के चुनावों में पार्टी ने बगैर किसी गठजोड़ के चुनाव लड़ा.

चुनाव चिन्ह है पुस्तक

एनपीपी का चुनाव चिन्ह पुस्तक है. ये काफी हद तक एनपीपी की नीतियों को भी दिखाता है, जो ये मानता है कि कमजोर वर्ग को साक्षरता और शिक्षा ही अधिकारसंपन्न कर सकती है.

एनपीपी के मुखिया हैं कोनार्ड संगमा

कोनार्ड कोंगकल संगमा करीब 45 साल के भारतीय राजनेता हैं, जो अपने पिता की बनाई पार्टी के सुप्रीमो हैं. पिता के वर्ष 2016 में निधन के बाद उन्होंने पार्टी की कमान संभाली. वह तूरा से सांसद भी रह चुके हैं.

कोनार्ड का सियासी करियर 1990 के दशक में शुरू हुआ. वह पहले पिता के कैंपेन मैनेजर बने. हालांकि पहले चुनाव में उन्हें 182 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. ये वर्ष 2004 का विधानसभा चुनाव था.

इसके बाद वर्ष 2008 के चुनावों में वह एनसीपी की ओर से भाई जेम्स के साथ जीते. फिर राज्य सरकार में कई मत्रालयों के मंत्री भी बने. कोनार्ड के परिवार में उनका बड़ा भाई जेम्स और बहन अगाथा दोनों नेता हैं. हालांकि एक और बहन क्रिस्टी राजनीति से दूर है.