महाशिवरात्रि 2018: पूजा समाग्री से लेकर नैवेद्य तक सबका है अलग अर्थ और महत्‍व

खबरें अभी तक। ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन सामूहिक तौर पर रुद्राभिषेक करना चाहिए ताकि हमारे सारे पाप कट सकें और जिंदगी में शांति और खुशियों का आगमन हो। देवाधिदेव शिव को अहं का नाशक माना जाता है और हमें अतीत में किए गए उन नकारात्मक कामों से मुक्ति मिलती है जो हमें हमारी असली शक्ति से दूर रखते हैं। महाशिवरात्रि के दिन हमें अपनी शक्तियों का बोध होता है। ऐसी मान्यता है कि इस रोज शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। शिव के उपासकों का विश्‍वास है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव लिंगोदभव मूर्ति की शक्ल में देर रात प्रकट होते हैं। इस रात हर तीन घंटे पर पंडित मंत्रोच्चार और पारंपरिक पूजा करते हैं और शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी, चीन और पानी का अभिषेक करते हैं। इस बीच ‘ॐ नम: शिवाय’ का जप और मंदिर की घंटियां लगातार बजाई जाती हैं।
विशिष्‍ट है शिव की पूजन सामग्री-
मान्यताओं के अनुसार, ये भी कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था, और लोगों ने उन्हें मनाने के लिए प्रार्थना की थी ताकि संसार का विनाश होने से रोका जा सके। शिव जब य​ह नृत्य करते हैं तो पूरा ब्रह्मांड विखंडित होने लगता है, इसीलिए इसको जलरात्रि भी कहते हैं। शिव पुराण के मुताबिक, महाशिवरात्रि पूजा के लिए जरूरी हैं कि इस शिवलिंग पर सिंदूर, बेल, फल और चावल, धूप, दीया, और पान पत्ता अवश्‍य प्रयोग किया जाए। सिंदूर को शिवलिंग पर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि यह सदाचार की निशानी है। बेल से आत्मा शुद्ध होती है। फलाहार और चावल से भगवान शिव लंबी उम्र देने के साथ ही सभी इच्छाओं की पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। धूपबत्ती धनार्जन के लिए जलाई जाती हैं। माना जाता है कि दीया जलाने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, जबकि पान पत्ता भौतिक सुखों की पूर्ति करता है।

महाशिवरात्रि हमारी आत्मा को जागृत करने वाला पर्व है। इस रोज हम सनातन योगी बन जाते हैं और अपनी आत्मा की सुनते हैं। महाशिवरात्रि पर शिवभक्त पूरे दिन और रात व्रत रखते हैं। वे अगली सुबह भगवान शिव को चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण करते हुए अपना व्रत खोलते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव पावर्ती के बिना निर्गुण हैं। उनको सगुण बनने के लिए पार्वती की शक्तियों और साथ ही जरूरत रहती है।