19 फरवरी का क्या है इतिहास,किस स्वतंत्रता सेनानी की पुण्यतिथि आज

खबरे अभी तक: आपको बता दें आज भारतीयस्वतंत्रता में अग्रणी गोपाल कृष्ण गोखले की पुण्यतिथि हैं।गोपाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और सर्वेंट्स सोसायटी ऑफ इंडिया के सम्मानित सदस्य थे। गोपाल कृष्ण गोखलेस्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। गोपाल कृष्ण गोखले इनके जीवन के बारे में शायद ही कुछ लोग जानते होगें। इस महान स्वतंत्रता सेनानी गोखले की देशभक्ति आध्‍यात्मिकता पूर्ण थी।

गोपाल कृष्ण गोखले भारतीयराष्ट्रीय कांग्रेस और सर्वेंट्स सोसायटी ऑफ इंडिया के सम्मानित सदस्यहोने के साथ स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी गोखले का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में एक साधारण परिवार में हुआ था और उनके पिता कृष्ण राव पेशे से क्लर्क थे। जिनका जन्म 9 मई 1866 हुआ था।महादेव गोविन्द रानडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का ‘ग्लेडस्टोन’ कहा जाता है।अपनी शिक्षा के दौरान वे अत्यंत मेधावी छात्र थे। पढ़ाई में सराहनीय प्रदर्शन के लिए जब उन्हें सरकार की ओर से 20 रुपए की छात्रवृत्ति मिलनी शुरू हुई तो उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों की काफी सराहना मिली। गोखले अपनीपरिवारिक स्थिति को देखते हुए उनके बड़े भाई ने गोखले की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता की। जिसके बाद उन्होंने राजाराम हाईस्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद गोखले मुंबई चले गए और उन्होंने साल 1884 में 18 साल की उम्र में मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।इसके साथ ही गोखले एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही एक राजनीतिज्ञ भी थे। महात्मा गांधी ने राजनीति के बारे में उनसे बहुत कुछ सीखा और इसीलिए वह राष्ट्रपिता के राजनीतिक गुरु कहलाए।गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और सर्वेंट्स सोसायटी ऑफ इंडिया के सम्मानित सदस्य भी थे। भारत भूमि को गुलामी से आजाद कराने के लिए जन्मे इस वीर सपूत गोखले का 19 फरवरी 1915 को निधन हो गया था। 

इतिहासकार एच.एन. कुमार का कहना है कि अधिकतर लोग गोखले को सिर्फ महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु के रूप में ही जानते हैं लेकिन वह सिर्फ राष्ट्रपिता ही नहीं बल्कि मोहम्मद अली जिन्ना के भी राजनीतिक गुरु थे। उनका मानना है कि यदि आजादी के समय गोखले जीवित होते तो शायद जिन्ना देश के बंटवारे की बात रखने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।