जानिए कहां स्थित है शिव का यह चमत्कारी मंदिर जहां मुर्दें भी हो जाते है जिंदा

ख़बरें अभी तक। आज हम आपको भोलेनाथ के एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारें में बताने जा रहे हैं जहां मरे हुए इंसान भी जिंदा हो जाते है….इस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल हैं लेकिन यह सत्य है। यहां मुर्दा लाया जाए तो वो जिंदा हो जाता हैं। यह मंदिर कहां है और इसके आलावा इसकी क्या मान्यताएं है ये आज हम आपको बताएंगे।

यह अनोखा मंदिर देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड की राजधानी, देहरादून से 128 किलो मीटर की दूरी पर स्थित यमुना नदी की तट पर है। दिल को लुभाने वाली यह जगह गुफाओं और मंदिर के प्राचीन अवशेषों से घिरा हुआ है। मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में यहां पांडवों को जलाकर मारने के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह बनाया था। अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठर ने शिवलिंग की स्थापना इसी स्थान पर की थी। जो मंदिर में आज भी मौजूद है।

लाखामंडल शिव मंदिर में मौजूद शिवलिंग को महामुंडेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की एक अनोखी बात यह है कि इस मंदिर के प्रांगण में मौजूद शिवलिंग के सामने दो द्वारपाल पश्चिम की ओर मुंह करके खड़े हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो उठता है।

जीवित होने के बाद वह भगवान शिव का नाम लेता है और उसे गंगाजल प्रदान किया जाता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है। मान्यता है कि यहां पर स्थित शिवलिंग मृत व्यक्ति को जीवित करता है। सुनने में यह बेहद ही अविश्वसनिय लगता है, लेकिन यह बात सत्य है।

वहीं मंदिर की पिछली दिशा में दो द्वारपाल पहरेदार के रूप में खड़े नजर आते हैं, जिसमें से एक द्वारपाल का हाथ कटा हुआ है जो एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। इस मंदिर की एक और महिमा भी है, जिसके विषय में बहुत ही कम लोग जानते हैं। महामंडलेश्वर शिवलिंग के विषय में माना जाता है कि जो भी स्त्री, पुत्र प्राप्ति के उद्देश्य से महाशिवरात्रि की रात मंदिर के मुख्य द्वार पर बैठकर शिवालय के दीपक को एकटक निहारते हुए शिवमंत्र का जाप करती है, उसे एक साल के भीतर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

लाखामंडल में बना यह मंदिर खास इसलिए भी है क्योंकि यहां पर स्थापित शिवलिंग की एक अन्य खासियत यह भी है कि जब भी कोई व्यक्ति इस शिवलिंग का जलाभिषेक करता है तो उसे इसमें अपने चेहरे की आकृति स्पष्ट नजर आती है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में प्रार्थना करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है।