माँ-बाप ने ठुकराया तो मौसी ने अपनाया और अब गोल्ड मेडल जीत किया नाम रोशन

ख़बरें अभी तक। सिरसा: कहते है जब अपने भी हाथ छोड़ दे तो कोई पराया परछाई तक नहीं डलने देता, सहारा बनना तो दूर। लेकिन हरियाणा के डबवाली में एक महिला ने मां-बाप से बिछड़ी दो बेटियों को गोद लेकर ऐसी मिसाल पैदा की। जिससे बेटियों को बोझ समझने वालों के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।

आपको बता दें कि 3 से 7 जनवरी तक नेपाल में हुई यूथ गेम्स इंटरनेशनल प्रो-लीग चैंपियनशिप में योग स्पर्धा में अनामिका ने गोल्ड जीता है। इस उपलब्धि के बाद गांव पहुंचने पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। दरअसल, अनामिका के मां-बाप घरेलू हिंसा के कारण अलग-अलग हो गए थे। मां ने दूसरा घर बसा लिया था तो पिता ने बेटे को अपनाते हुए दोनों बेटियों को खुद से अलग कर दिया था।

दोनों बेटियों की परवरिश मौसी वीरपाल कौर कर रही है। नेपाल जाने के लिए अनामिका को 22 हजार रुपये की जरूरत थी। मौसी ने सोने की चेन बैंक में गिरवी रख लोन उठा लिया। उसे उम्मीद थी कि अनामिका बेहतर प्रदर्शन करेगी। हुआ भी ऐसा, अंडर-17 मुकाबले में इस बेटी ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया।

सफर की यूं हुई शुरूआत….

अनामिका के स्वर्णिम सफर की शुरूआत कक्षा छठी में हुई। वह सावंतखेड़ा स्कूल में पढ़ती थी, तो पीटीआई अनिल कुमार ने उसे योग के गुर सिखाए। प्रतिभा के दम पर पहली दफा करनाल में हुई राज्य स्तरीय गेम्स में पहुंच गई। सातवीं में जिला स्तर पर खेली, सिलेक्शन राज्य स्तर पर हुई, लेकिन आर्थिक कमजोरी के कारण वह राज्य स्तर पर नहीं जा सकी। नौवीं में महेंद्रगढ़ में आयोजित राज्य स्तरीय मुकाबलों में भाग लिया।

वर्ष 2019 में भिवानी में राज्य स्तरीय मुकाबले खेले तो उसका चयन नेशनल लेवल पर हुआ। गोवा में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयनित हुई थी। वहीं गोल्ड विजेता खिलाड़ी अनामिका ने बताया कि वह खुइयांमलकाना गांव स्थित सरकारी स्कूल में नौवीं कक्षा की छात्रा है हमारे लिए मौसी सब कुछ है। हम इन्हें ही मां कहकर पुकारती हैं।

राज्य स्तर पर जाने के लिए मुझे पांच हजार रुपये की जरूरत थी तो मौसी ने सोने का लॉकेट गिरवी रखकर बैंक से लोन उठाया था। इस बार भी ऐसा किया। वे मुझे निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। जब मुझे नेपाल जाना था मौसी ने फिर गरीबी के चलते अपने गहने गिरवी रख मुझे 22 हजार देकर यूथ गेम्स अंतराष्ट्रीय प्रो लीग में भेजा जहां मैंने गोल्ड मेडल जीता है वो हमेशा मेरे में उत्साह पैदा करती हैं।

वहीं अनामिका की मां यानी मौसी ने बताया कि उसके गोद ली 2 बेटियां है जब उसे पता चला कि उनकी बेटी योगा में कुछ कर सकती है तो मैने अपने जेवरात गिरवी रख उसे नेपाल भेज दिया चुंकि मेरी कोई औलाद नहीं थी तो मां-बाप से बिछुड़ी दोनों बेटियों की परवरिश का जिम्मा उठाया था। दोनों बेटियां प्रतिभावान हैं। घर पर सिलाई का कार्य कर कमाई या फिर विधवा पेंशन खर्च करके दोनों को पढ़ा रही हूं। इस बार अनामिका को नेपाल जाना था तो उसकी खुशी के लिए सोने के जेवरात गिरवी रख दिए।