आरबीआई को करना पड़ सकता ब्याज दरों पर अपना रुख कड़ा

खबरें अभी तक। वित्त घाटे का लक्ष्य पूरा नहीं होने से लेकर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और खाद्य महंगाई के सिर उठा सकने से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) को ब्याज दरों पर अपना रुख कड़ा करना पड़ सकता है.25 मार्केट पर्टिसिपेंट्स के बीच कराए गए ईटी पोल में एक्सपर्ट्स इस बात पर एकमत थे कि आरबीआई बुधवार को कड़े रुख के साथ पॉलिसी पेश कर सकता है, जिसमें आनेवाले मौद्रिक नीति समीक्षा में रेट बढ़ाने की मजबूत संभावना जताई जा सकती है. पोल में बनी राय के मुताबिक आगामी कुछ द्वैमासिक बैठक में एमपीसी पॉलिसी के बारे में अपना रुख अभी के ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘सख्त’ कर सकता है.

बार्कलेज बैंक के चीफ इकॉनमिस्ट सिद्धार्थ सान्याल ने कहा, ‘फिस्कल डेफिसिट बढ़ने और कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के संभावित रुझान के अलावा ग्लोबल कमोडिटी प्राइसेज में तेजी के कारण इन्फ्लेशन के सिर उठाने का जोखिम बन रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘इसके चलते एमपीसी के पॉलिसी में ज्यादा सतर्कता भरा रुख अपनाना पड़ सकता है.

बजट में सरकार ने प्रस्ताव किया था कि किसानों से उपज उनकी उत्पादन लागत के डेढ़ गुने पर खरीदी जाएगी. पिछले तीन वर्षों में औसत न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को एक अंक में रखने के मुकाबले यह बड़ा बदलाव है. हालांकि इस कदम से महंगाई को हवा मिलने का डर भी जताया जा रहा है.बजट में फिस्कल डेफिसिट के 2018-19 में जीडीपी के 3.3 पर्सेंट पर रहने का अनुमान जताया गया है.

वहीं डेट मार्केट का अनुमान था कि अगले वित्त वर्ष में डेफिसिट 3-3.1 पर्सेंट की रेंज में रहेगा. स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की हेड (साउथ एशिया इकनॉमिक रिसर्च, इंडिया) अनुभूति सहाय ने कहा, ‘फिस्कल कंसॉलिडेशन की सुस्त रफ्तार के साथ महंगाई बढ़ने के रिस्क, क्रूड ऑइल की चढ़ती कीमतों और एमएसपी में ज्यादा बढ़ोतरी पर फोकस किया जा सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि रेट बढ़ाने के लिए कोई वोट करता है या नहीं.