मकर संक्रांति पर्व: दौर बदला, युग बदला पर नहीं बदली हैं हरियाणा की ये परंपराएं

ख़बरें अभी तक। भिवानी: चाहे विज्ञान एवं तकनीकी ने मानव के जीवन एवं रहन सहन के तौर तरीकों को पूरी तरह बदल दिया हो मगर सामाजिक परंपराएं एवं त्योहारों पर निभाई जाने वाली रस्में आज भी ज्यों की त्यों कायम हैं। मकर संक्रांति का त्योहार भी इन्हीं परंपराओं का एक नमूना है। इस दिन भाई अपनी विवाहित बहन के घर जाकर उसे उपहार स्वरुप भेंट देते हैं। पूरे हरियाणा प्रदेश में मकर संक्रांति का त्योहार पारंपरिक श्रद्धा से मनाया जा रहा है।

त्योहार पर बड़े बुजुर्गों को दान देने की बरसों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है। आज भी बहुएं अपने सास ससुर व ननदों को श्रद्धा से दान देती हैं तथा उन्हें भी बदले में आशीर्वाद भी मिलता है। पूरे प्रदेश में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। पारंपरिक तौर तरीकों से त्योहार का आयोजन किया जा रहा है। खासकर ग्रामीण इलाकों में त्योहार की धूम है। गांवों में बहुएं अपने सास ससुर को दान दक्षिणा दे रही हैं।

बहुएं सास ससुर को सीढ़ियां उतारती हैं तथा रूपयों के रूप में दान उनके कदमों में समर्पित करती हैं। वहीं मिठाइयों में घेवर, वस्त्रों में गर्म कपड़े कंबल, चादर एवं अन्य वस्त्र भी बड़ों को दिए जाते हैं। साथ ही नन्दों को भी उसी मानिंद दान देकर उनका मान सम्मान किया जाता है। बुजुर्ग महिलाओं की मानें तो लोग धार्मिक स्थलों पर नहाने जाते हैं तथा दान पुण्य करते हैं, लेकिन इस त्योहार पर अपने से बड़ों को दान दिया जाता है।

जिससे उससे भी ज्यादा फल मिलता है जितना कि बाहर तीर्थों पर स्नानादि करने से मिलता है। रूठों को मनाने का भी यह त्योहार एक साधन है। वहीं विवाहित महिलाओं का कहना है कि बरसों से चली आ रही परंपराओं को वे निभा रही हैं। विवाहिता महिलाओं व बुजुर्ग के मुताबिक पर्व के दिन अपने बड़ों को दान दक्षिणा देने व उनका मान सम्मान करने से विशेष लाभ मिलता है। यह पर्व मौसम परिवर्तन की ओर भी संकेत करता है।

बुजुर्गों की मानें तो मकर संक्रांति से सर्दी का अवसान होना शुरू हो जाता है। बुजुर्गों के अनुसार मौसम परिवर्तन होने के कारण यह त्योहार मनाया जाता हैं। उन्होंने बताया कि इस त्योहार के दिन छोटे अपने से बड़ो का आदर सत्कार करते हैं। परंपरा के अनुसार बहुएं अपनी सास व ससुर को उपहार देती हैं तथा बहन का भाई अपनी विवाहित बहन को उपहार दे कर जाता हैं। मकर संक्रांति के मौके पर विवाहिता के मायके से घेवर,वस्त्र व अन्य सामान लेकर उसका भाई उसकी ससुराल में जाता है। ऐसे में बाजार में घेवर बेचने वालों की भी खूब चांदी होती हैं।

लोग इनका खूब प्रयोग करते हैं और उपहार के तौर पर भी बांटते हैं। भले ही शहरी परिवेश में त्योहार परंपरागत तरीके से ना मनाए जाते हो मगर चूंकि देश की आत्मा गांवों में बसती है तो यहां पर त्योहारों के मौके पर निभाई जाने वाली रस्में व रिवाज आज भी हमारी सांस्कृतिक धरोहर एवं परंपराओं को जिंदा रखे हुए हैं। त्योहार हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। लेकिन आज की भाग दौड़ की जिदंगी में लोग इन त्योहारों के मायनों को भूलते जा रहे हैं। लेकिन आज भी कई स्थानों पर हरियाणा की संस्कृति के अनुसार ये त्योहार मनाया जा रहा है।