सोलन वासियों की आराध्य देवी “माँ शूलिनी” के दरबार में नए साल में लगे जयकारे

ख़बरें अभी तक। सोलन: माँ शूलिनी के दरबार में साल के पहले दिन सैकड़ों भक्त हाजिरी भरने पहुंचे। दरबार में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिल रही है, अपनी बारी के इंतजार में घंटों तक कतारबद्ध खड़े भक्त इंतजार करते देखे जा सकते है। शूलिनी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है। जो बाद में लंबी कतार में बदल गई। नववर्ष को लेकर जिला सोलन का शूलिनी मंदिर दुल्हन की तरह सजाया गया है।

नववर्ष पर जयकारों से गूंजा मां शूलिनी दरबार

वहीं नए साल के पहले दिन स्थानीय सहित बाहरी राज्यों के सैकड़ों लोगों ने मां के दर्शन किए। पहली जनवरी की सुबह मंदिर कपाट खुलते ही लोगों ने मंदिर की ओर रुख करना शुरू कर दिये, लोग मंदिर के समीप लगी प्रसाद की दुकानों में प्रसाद सहित माता के चुनरियां खरीदते दिखाई दिए। इस दौरान लोगों ने नए वर्ष की शुभकामनाओं के लिए मां से आशीर्वाद भी लिया। शूलिनी देवी सोलन सहित आसपास के क्षेत्र की कुलदेवी है।

बघाट रियासत के शासकों कुलदेवी है माँ शूलिनी

जहां पर स्थानीय लोगों सहित किसानों की ओर से उगाई गई फसल के तैयार होने के बाद यहां पर सबसे पहले फसल को चढ़ाया जाता है, जिसके बाद लोग स्वयं अपनी फसलों का सेवन करते हैं। वहीं इस तरह गाय के दूध, घी को भी पहले मां शूलिनी को चढ़ाया जाता है। जिसके तहत लोगों ने नए वर्ष अपनी फसलों, स्वास्थ्य सहित शांति प्रदान करने लिए पूजा अर्चना भी की।

बघाट रियासत की है कुल देवी……

माता शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की कुल श्रेष्ठा देवी मानी जाती हैै। वर्तमान में माता शूलिनी का मंदिर सोलन शहर के दक्षिण में विद्यमान है। इस मंदिर में माता शूलिनी के अतिरिक्त शिरगुल देवता, माली देवता इत्यादि की प्रतिमाएं मौजूद हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता शूलिनी सात बहनों में से एक हैं। अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी, लुगासना देवी, नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं।

मां के दर्शन और माथा टेकने के लिए भक्तों ने कतारों में किया इंतजार

माता शूलिनी देवी के नाम से सोलन शहर का नामकरण हुआ था, जो कि मां शूलिनी की अपार कृपा से दिन-प्रतिदिन समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहा है। सोलन नगर बघाट रियासत की राजधानी हुआ करती थी। इस रियासत की नींव राजा बिजली देव ने रखी थी। बारह घाटों से मिलकर बनने वाली बघाट रियासत का क्षेत्रफल 36 वर्ग मील में फैला हुआ था। इस रियासत की प्रारंभ में राजधानी जौणाजी, तदोपरांत कोटी और बाद में सोलन बनी। राजा दुर्गा सिंह इस रियासत के अंतिम शासक थे।

यह है लोगों की मान्यता …….

मान्यता है कि माता शूलिनी के प्रसन्न होने पर क्षेत्र में किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा या महामारी का प्रकोप नहीं होता है, बल्कि सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। इसके तहत काफी समय से मां शूलिनी के नाम पर सोलन में मेला भी आयोजित किया जाता है। यह मेला भी जहां जनमानस की भावनाओं से जुड़ा है, वहीं पर विशेषकर ग्रामीण लोगों को मेले में आपसी मिलने-जुलने का अवसर मिलता है, जिससे लोगों में आपसी भाईचारा, राष्ट्र की एकता और अखंडता की भावना पैदा होती है।