सुखना को वेटलैंड घोषित करने के दौरान यूटी प्रशासन की हाईकोर्ट में हुई किरकिरी

खबरें अभी तक। सुखना को वेटलैंड घोषित करने की प्रक्रिया के बीच सोमवार को प्रशासन की हाई कोर्ट में तब किरकिरी हो गई जब यह बात सामने आई कि सुखना को 31 साल पहले 1988 में वेटलैंड घोषित किया जा चुका है। हाई कोर्ट ने प्रशासन से पूछा कि अब 31 साल बाद इसे दोबारा वेटलैंड घोषित कर कैसे रूल्स बनाए जा रहे हैं। हैरानी है कि 10 साल पहले संज्ञान लिया लेकिन अब तक जानकारी नहीं थी।

चंडीगढ़ प्रशासन के वकील पंकज जैन ने बताया कि सुनवाई में कोर्ट को टाटा कैमलॉट प्रोजक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी देते हुए बताया कि सुखना के कैचमेंट में कोई निर्माण नहीं हो सकता। टाटा कैमलॉट प्रोजेक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि सुखना कैचमेंट का एरिया ईको सेंसेटिव जोन व वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है। यहां किसी भी प्रकार का निर्माण वैध नहीं है।

हाई कोर्ट ने सुखना कैचमेंट एरिया में हो रहे निर्माण कार्यो को लेकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हरियाणा या पंजाब के मास्टरप्लान में कुछ भी दर्शाया गया हो लेकिन सुखना कैचमेंट एरिया में निर्माण कार्य अवैध माना जाएगा | कोर्ट ने यह टप्पणी उस वक्त की जब पंजाब के अधिवक्ता की और से कहा गया कि पंजाब के मास्टर प्लान में कैचमेंट एरिया का जिक्र नहीं है| सुखना कैचमेंट एरिया सुखना लेक की बॉउंड्री वाल से 2 .7 किलोमीटर का है जिसमें हरियाणा व पंजाब का कुछ हिस्सा भी आता है इस लिए दोनों राज्यों को भी इस मामले में पार्टी बनाया गया है |

हालांकि पंजाब ने कोई लिखित जवाब दाखिल नहीं किया लेकिन अधिवक्ता ने कोर्ट द्वारा कैचमेंट एरिया में निर्माण कार्य सम्बन्धी सवाल किया तो उन्होंने बताया कि नयागांव के मास्टर प्लान में सुखना कैचमेंट है फिर भी निर्माण कार्यो पर रोक लगा राखी है |

यूटी प्रशसन की और से अधिवक्ता पंकज जैन ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया और कोर्ट को बताया कि 1988 में सुखना लेक के आसपास 2.7  किलोमीटर के एरिया को वाइल्ड लाइफ और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील घोषित करते हुए वहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य व शोर शराबे पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था | कोर्ट को बताया गया कि 8 जनवरी 2017 को केंद्र ने भी नोटिफिकेशन जारी करते हुए सुखना कैचमेंट एरिया को इको साइंसटिव ज़ोन घोषित किया था |

चंडीगढ़ प्रशासन ने सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 1988 में सुखना को वेटलैंड घोषित किया था। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान वेटलैंड घोषित करने को लेकर जवाब मांगा तो चंडीगढ़ प्रशासन ने आखिरकार मान लिया है कि 1988 की हुई घोषणा की उन्हें जानकारी नहीं थी। अब सुखना को वेटलैंड घोषित कर इसके रूल्स बनाए जा रहे हैं। आपत्तियां लेकर इसकी नोटिफिकेशन जारी की जा सके। इस जानकारी पर हाई कोर्ट ने कहा कि बड़े हैरत की बात है कि इस मामले में हाई कोर्ट ने वर्ष 2009 में संज्ञान लिया था तब से लेकर अब तक किसी को पता ही नहीं था कि सुखना लेक वेटलैंड है।