हिंद महासागर में भारत की घेरेबंदी करने के मकसद से चीन बढ़ा रहा है श्रीलंका से नजदीकियां

खबरें अभी तक। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रविवार को कहा कि उन्होंने श्रीलंका के साथ संबंधों को मजबूत करने पर अधिक ध्यान दिया है। दरअसल, पेइचिंग ने हिंद महासागर में समुद्री रेशम मार्ग (मैरीटाइम सिल्क रोड) परियोजना के निर्माण की योजना को मजबूत किया है। भारत के एकदम पड़ोस में चीन के इस सिल्क रोड प्रॉजेक्ट को लेकर भारत ने अपनी आपत्ति जाहिर की है क्योंकि इससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़नी लाजिमी हैं। चीन का सिल्क रोड प्रॉजेक्ट चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव का हिस्सा है।

 ब्रिटिश शासन से श्री लंका को आजादी मिलने की 70वीं वर्षगांठ पर वहां के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना को भेजे एक बधाई संदेश में शी ने कहा कि चीन दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोगी साझेदारी के बेहतर विकास पर काम करने को इच्छुक है। उन्होंने कहा कि उन्होंने चीन-श्रीलंका संबंधों के विकास पर अधिक ध्यान दिया है और वह दोनों देशों के बीच सहयोगी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए सिरिसेना के साथ ठोस कोशिशें करने को इच्छुक हैं।

शी ने यह भी कहा कि चीन और श्री लंका ने सिल्क रोड इकनॉमिक बेल्ट और 21वीं सेंचुरी मैरीटाइम सिल्क रोड के संयुक्त निर्माण के ढांचे में अपना सहयोग प्रदर्शित कर सार्थक नतीजा हासिल किया है। गौरतलब है कि भारत ने समुद्री रेशम मार्ग पर ऐतराज जताया है क्योंकि हिंद महासागर में इसकी सुरक्षा चिंताएं हैं।

सिल्क रोड प्रॉजेक्ट 2013 में चीन द्वारा प्रस्तावित बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव (BRI) का हिस्सा है। BRI का उद्देश्य ट्रेड के लिए एशिया को यूरोप और अफ्रीका से जोड़ना है और यह प्राचीन समुद्री मार्गों पर आधारित है। इससे चीन का एक तरह से पूरी दुनिया में दबदबा बढ़ेगा।

चीन ने पिछले कुछ सालों में श्री लंका में हंबनटोटा पोर्ट समेत तमाम परियोजनाओं में 8 अरब डॉलर यानी करीब 512 अरब रुपये का निवेश किया है। वह कोलंबो पोर्ट सिटी प्रॉजेक्ट का भी निर्माण कर रहा है जहां श्री लंका की योजना एक इंटरनैशल फाइनैंशल सिटी स्थापित करने की है। चीन हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी को मजबूत करना चाहता है। इसके लिए वह हंबनटोटा और अफ्रीका के जिबूती जैसी जगहों पर बंदरगाहों को विकसित कर रहा है।