पूर्वी भारतीयों का सबसे बड़ा उत्सव है छठ पूजा, BBN के बजारों में पर्व को लेकर भारी भीड़

ख़बरें अभी तक। समुदाय से निकलकर वैश्विक रूप ले चुके छठ पूजन का अब औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में भी खूब धूम देखी जा रही है। औद्योगिक क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर जगह-जगह भारतीय प्रवासियों ने साडी और धोत्ती की पोशाकों में पूजा करने निकल रहे हैं। आगामी चार तीन दिनों तक क्षेत्र में भक्तिमय गानों का महौल रहेगा, साथ ही क्षेत्र की नदियों और तालाबों पर भी प्रवासी भारतीय पूजा अर्चना करते नजर आएंगे। उत्सव में सुर्योउपासना के साथ महिला व पुरूष वृत भी रखते हैं और दिनभर भक्तिरस में खोए रहते हैं। बीबीएन के बाजारों में भी छठ पूजा के पर्व को लेकर खासी भीड़ देखि जा रही है प्रवासी त्यौहार को लेकर खूब खरीदारी कर रहें है।

चार दिन तक चलता है छठ पूजन:

दीपावली के छठे दिन आयोजित होने वाला छठ पूजन प्रवासी भारतीयों का सबसे बड़ा उत्सव है। इसे वर्ष में दो बार मनाया जाता है। महिलाएं साडी और पुरूष धोत्ती के लिबास में इस पूजन को संपन्न करते हैं। दीपावली के छठे दिन से पूजन शुरू होकर अगले चार दिनों तक चलता है और तालाब व नदियों पर बने घाट पर जाकर सुर्याउपासना के साथ ही इस वृत को पूरा किया जाता है। वृत में पहले दिन नहाय खाय कार्यक्रम किया जाता है इसी दिन वृत रखा जाता है, इसके अलगे दिन लोहंडा और खरना, तीसरे दिन संध्या अघ्र्य दिया जाता है और चौथे दिवस उषा अघ्र्य देकर वृत को पूरा किया जाता है। भारी मात्रा लोग एक घाट पर एकत्रित होकर लोग नदी व तालाब में डुबकी लगाकर ढलते सूरज को अघ्र्य देकर वृत को पूरा करते हैं।

बिहार निवासी राम प्रसाद ने बताया कि वह पिछले सात वर्षों से बद्दी में छठ पूजा मनाते आ रहे हैं। हर वर्ष वह वर्धमान के निकट स्थित भूपनगर स्थान पर पूजा का आयोजन करते हैं। पांच दिन पूर्व से वह साफ सफाई की व्यवस्था में जुट जाते हैं और फिर दीपावली के छठे दिन यहां दस हजार से अधिक लोग पूजा करने पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि यह उनके समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है जिसे वह कई वर्षों से हर्षोउल्लास के साथ मनाते आ रहे हैं।