हिमाचल: बिलासपुर जिला में किसान बड़े पैमाने पर अपना रहे शून्य लागत खेती

ख़बरें अभी तक: धरती को रसायनों से मुक्ति दिलाने और देश के नागरिकों को शुद्ध खाद्यान्न पदार्थ उपलब्ध करवाने की दृष्टि से शून्य लागत प्राकृतिक खेती एक बड़ा विकल्प बनकर उभरी है। जहां देश के कई राज्यों में इस खेती पर कार्य चल पड़ा है। वहीं हिमाचल प्रदेश के किसानों ने भी अब पारंपरिक तरीकों से हटकर इस शून्य लागत प्राकतिक खेती को अपनाना शुरू कर दिया है। जिसके साकारात्मक परिणाम सामने आने लग पड़े हैं ।

प्रदेश के बिलासपुर जिला में कई किसानों ने शुन्य लागत खेती  को अपना कर इसकी सफलता की इबारत लिख डाली है। किसान इस खेती के तौर तरीकों और परिणामों से इतने प्रभावित हो रहे है कि वो अब पूरी-पूरी जमीनों से रासायनिक खादों को कोसों दूर कर चुके हैं। घुमारवीं उपमंडल के मोरसिंगी गांव के किसान इसकी मिसाल बन कर उभरे हैं। पेशे से सरकारी टीचर होने के साथ-साथ इन्होने अपने 50 बीघा भूमि में शून्य लागत खेती को अपनाया है। जिससे न केवल इनके खेतों में फसलें लहलहा रही है वहीं क्षेत्र में औरों के लिये भी यह प्रेरणा स्त्रोत बने हुये है।