दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना ‘आयुष्मान’ के लिए मोदी सरकार ये है प्लान

खबरें अभी तक। बजट के दो दिन बाद भी जिस योजना की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो है 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना. सरकार कह रही है कि ये दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी बीमा योजना है तो विपक्ष इसे भी जुमला बताने में लगा है और सरकार से पूछ रहा है कि इतनी बड़ी योजना के लिए पैसा कहां से आएगा.

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2010 में करीब ढाई करोड़ अमेरिकी परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की थी लेकिन मोदी सरकार ने जिस आयुष्मान योजना का एलान किया है उसका फायदा 10 करोड़ परिवारों यानी देश की करीब 40 फीसदी आबादी को मिलने वाला है. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार ने घोषणा तो कर दी पर ये नहीं बताया कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा.कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अगर आप 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख का बीमा देंगे तो 1 प्रतिशत प्रीमियम होगा 5000 रुपए. डेढ़ लाख करोड़ रुपया चाहिए, कहां है डेढ़ लाख करोड़. वहीं बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जब वित्त मंत्री ने सदन के पटल पर ये बात कही है तो ये सरकार की प्रतिबद्धता है और वो आगे करके दिखाएंगे, सरकार की तरफ से प्रावधान है, कुछ चीजें CSR के जरिए भी लाई जा सकती हैं, कुछ अन्य स्रोतों से भी उसकी व्यवस्था की जा सकती है.

 नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल का दावा है कि आयुष्मान बीमा योजना की तैयारी पहले से ही शुरू हो चुकी है. उन्होंने कहा कि अस्पतालों को पैनल में शामिल करने का खाका बन चुका है, फ्रॉड कंट्रोल और आईटी से जुड़ी तैयारियां भी की जा चुकी हैं.डॉ पाल के मुताबिक योजना का लाभ पाने वाले 10 करोड़ परिवारों का चुनाव 2011 की जनगणना के आधार पर किया जाएगा

– आधार नंबर की मदद से ऐसे परिवारों की लिस्ट तैयार की जाएगी

– लिस्ट तैयार होने के बाद बीमा का फायदा लेने के लिए किसी और कार्ड की जरूरत नहीं होगी, आधार से ही सारा काम होगा

– इलाज की जरूरत पड़ने पर 5 लाख तक का भुगतान सीधे अस्पताल को किया जाएगा

– फिलहाल 2000 करोड़ रुपए के शुरूआती बजट के अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य के 1 फीसदी बढ़े हुए सेस से आने वाले पैसे को भी इसी योजना में लगाया जाएगा

– अनुमान के मुताबिक इस 1 फीसदी सेस से सरकार को करीब 11000 करोड़ रुपए मिलेंगे

लेकिन बड़ी बात ये है कि इस योजना को शुरू होने में अभी फिलहाल 7 से 9 महीने तक लग सकते हैं. साफ है कि सरकार को इसके लिए बहुत तैयारी करनी होगी तभी इसका लाभ सही मायने में लोगों को मिल पाएगा.