यहां भगवान रघुनाथ का रथ निकलने पर ट्रैफिक व्यवस्था का जिम्मा पुलिस की जगह देवता संभालते हैं

ख़बरें अभी तक। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव कुल्लू अपने आप में सैंकड़ों सालों का इतिहास समेटे है। तीन शताब्दियों से यहां पर परंपराएं आज भी कायम हैं। इस बार दशहरा 8 से 14 अक्टूबर तक चलेगा और पूरा कुल्लू शहर देवताओं के आगमन और भव्य मिलन का गवाह बनेगा। कुल्लू जिले  में 2000 से अधिक छोटे बड़े देवता हैं, लेकिन घाटी के देवता भगवान रघुनाथ हैं। माता हिडिंबा की मंजूरी और देवी भेखली के इशारे के बाद से कुल्लू दशहरा का आगाज होता है।इस बार 331 देवताओं को दिया गया है निमंत्रण 

पिछले वर्ष 260 देवता इस दशहरा में आए थे, लेकिन इस बार 331 देवताओं को निमंत्रण दिया गया है। भगवान रघुनाथ अपने स्थायी शिविर से छोटे रथ से निकलने के बाद बड़े रथ पर विराजमान होते हैं और उसके बाद निकलने वाली शोभायात्रा के साथ यहां अंतरराष्ट्रीय दशहरा का आगाज होता है।

कुल्लू दशहरे में प्रतिदिन शाम को राजा की शोभायात्रा निकलती है

भगवार रघुनाथ के रथ को कोई भी व्यक्ति खींच सकता है। दशहरे में घाटी के देवता 200 किलोमीटर दूर तक से आते हैं। वहीं, कुल्लू दशहरे में प्रतिदिन शाम को राजा की शोभायात्रा निकलती है। इसे जलेब कहते हैं। यह राजा के अस्थाई शिविर से निकलती है और मैदान का चक्कर लगाकर वापिस शिविर में लौटती है।

दशहरे के छठे दिन सभी देवताओं का महामिलन होता है

जलेब में राजा को पालकी में बिठाया जाता है जिसे सुखपाल कहते हैं। इस जलेब में आगे नारसिंह की घोड़ी चलाई जाती है। अलग-अलग दिन अलग-अलग घाटियों के देवी देवता अपने वाद्य यंत्रों सहित इस जलेब में भाग लेते हैं। दशहरे के छठे दिन को मुहल्ला कहते हैं। इस दिन सभी देवताओं का महामिलन होता है। सभी देवी देवता रघुनाथ जी के शिविर में पहुंचते हैं और आपस में बड़े हर्षोउल्लास से मिलते हैं। उसके बाद एक-एक करके देवताओं के रथ राजा के शिविर में जाकर अपनी लिखित उपस्थिति दर्ज करवाते है।

ट्रैफिक व्यवस्था का जिम्मा संभालते है देवता

दशहरे में आयोजित रथयात्रा में भगवान रघुनाथ के रथ निकलने पर ट्रैफिक व्यवस्था का जिम्मा पुलिस की जगह देवता ही संभालते हैं। उझी घाटी के देवता धूमल नाग रथ के आगे चलकर भगवान के रथ के लिए रास्ता बनाते हैं। सदियों से चल रही इस परंपरा को आज भी जस का तस पालन किया जाता है।

देवता बालूनाग और ऋृंगा ऋषि को पुलिस के पहरे में रखा जाता है

इसी तरह भगवान की शोभायात्रा के साथ चलने के लिए देवता बालूनाग और ऋृंगा ऋषि में विवाद होता है और इस कारण इन दोनों देवताओं को पुलिस के पहरे में रखा जाता है। इनके विवाद को धुर विवाद कहा जाता है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के अलावा मणिकर्ण, ठाउगा, वशिष्ठ और हरिपुर में भी दशहरे का आयोजन होता है। यहां पर भी सात दिनों तक महोत्सव चलता है। मणिकर्ण में बाकायदा रथ भी बनाया जाता है जिसमें भगवान रघुनाथ को रखा जाता है। यहां पर हालांकि देवता बड़ी संख्या में नहीं होते लेकिन परंपराओं का पालन पूरी तरह से किया जाता है।