ये है वो कुंड जहां रानी पद्मावती ने दिखाया था 700 महिलाओं के साथ जौहर

खबरें अभी तक। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ का देशभर में विरोध होने के बाद आखिरकार ये फिल्‍म रिलीज हो गई। फिल्‍म में रौंगटे खड़े कर देने वाला जौहर का दृश्‍य देख इतिहास में दिलचस्‍पी रखने वाले लोगों में राजस्‍थान का चितौड़गढ़ का किला सुर्खियों में छा गया है।आइए देखते है इस जौहर कुंड की तस्‍वीरें, जहां रानी पद्मिनी ने अपनी आन,बान और शान के लिए सैकड़ों राजपूत महिलाओं के साथ जौहर करके अपने प्राण त्‍याग दिए थे। माना जाता है कि वक्‍त के साथ ये जगह हॉन्‍टेड प्‍लेस बन गई है जहां जाने से भी लोगों की रुह कांपने लगती है। आइए जानते है इस जौहर कुंड और रानी पद्ममिनी से जुड़ी बातों को।

पद्मावती के नाम से जाना जाता है किला

रानी पद्मावती का साहस और सुंदरता किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। यहां तक कि चित्तौड़गढ़ का किला आज भी इन्हीं के नाम से जाना जाता है। इस किले से जुड़ा इतिहास बताता है कि इसमें 3 बार जौहर किया गया। सबसे पहली बार जहां रानी पद्मावती ने करीब 700 महिलाओं के साथ जौहर किया था, उसी कुंड में राजपुताना आन की खातिर और 2 बार राजसी परिवार की महिलाएं अग्नि में समा गईं। कहा जाता है कि कई बार यहां लोगों को उन तड़पती आत्माओं की चीखें सुनाई देती हैं तो कोई जली हुई महिला देखने का दावा करता है…

शीशे में दिखाई गई थी प्रतिबिम्‍ब..

 

राजपूतों की परंपरा के मुताबिक महिलाएं गैर मर्दों के सामने नहीं जा सकती थीं लेकिन राजा रतन सिंह को इस बात की भी आशंका थी कि अगर इनकार किया गया तो सुल्तान उनके राज्य पर आक्रमण कर देगा। इसलिए अपने राज्य और प्रजा को बचाने के लिए राजा रतन सिंह ने सुल्तान का प्रस्ताव मान लिया। इधर रानी पद्मावती सुल्तान के आमने-सामने नहीं होना चाहती थीं। लिहाजा, शीशे का इस तरह प्रबंध किया गया कि सुल्तान रानी की छाया उसमें देख सके। कहा जाता है कि रानी की एक झलक देखकर अलाउद्दीन खिलजी रानी पर मोहित हो गया। उसने मन ही मन तय कर लिया कि वो रानी पद्मावती को लिए बिना दिल्ली नहीं लौटेगा।

राजपूत महिलाओं ने किया जौहर

वर्ष 1303 राजा रतनसिंह और अलाउद्दीन खिलजी के बीच युद्ध हुआ और युद्ध के समाप्त होने की सूचना राजा रतन सिंह के शहीद होने के साथ आई। जैसे ही यह खबर महल के भीतर पहुंची, राजा की सभी रानियां एवं अन्य सैनिकों की पत्नियां भी रानी पद्मिनी की अगुवाई में जौहर कुंड की ओर बढ़ीं। यह कुंड महल के एक कोने में काफी गहराई में बना था। घने रास्ते से होते हुए सभी जौहर कुंड पहुंचीं।