हिमाचल के इस गांव में आजादी के 72 साल होने के बाद भी आजतक पक्की सड़क नहीं

ख़बरें अभी तक। बिलासपुर जिला के घुमारवीं उपमंडल के तहत मतवाना गांव में आजादी के 72 साल पुरे होने के बावजूद आज तक पक्की सड़क नहीं बन पायी है। वहीं सड़क की कमी के चलते जहां मरीजों को कंधे पर उठाकर मेन सड़क तक पहुंचाना पड़ता है तो दूसरी ओर स्कूली बच्चों को भी पगडण्डी के सहारे पैदल चलकर स्कूल तक पहुंचना पड़ता है। वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से जल्द ही सड़क बनाने की अपील की है।

आज हम आपको बताएंगे एक ऐसा गांव जोकि आजादी के 72 सालों के बाद भी सड़क सुविधा के लिए तरस रहा है। जी हां देवभूमि हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला से लगभग 30 किलोमीटर दूर घुमारवीं हलके के लुहारवीं पंचायत में पड़ने वाला मतवाना गांव घुमारवीं बाजार से महज डेढ़ किलोमीटर की दुरी पर है और जिले का सबसे रईस गांव होने के बावजूद आज तक पक्की सड़क के लिए तरस रहा है।

30 परिवारों की लगभग 250 जनसंख्या वाले इस गांव में आज भी ग्रामीण छोटी सी सड़क यानि पगडण्डी के सहारे अपने घर पहुंचते है और असली मुसीबत तब होती है। जब कोई परिवार का सदस्य बीमार पड़ता है और उसे कंधों में उठाकर मुश्किल से घुमारवीं अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है। वहीं सड़क सुविधा ना होने के चलते स्कूली बच्चों को बरसातों में पगडण्डी पर पैदल चलकर मेन सड़क तक पहुंचना पड़ता है।

जबकि रास्ते में खेतों और जंगलों के चलते जंगली जानवरों का भी डर स्थानीय ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को सताता रहता है। वहीं मतवाना गांव के स्थानीय ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से जल्द ही सड़क निर्माण करवाने की अपील भी की है ताकि उनकी समस्या का जल्द निपटारा हो सके।

वहीं इस समस्या के सम्बन्ध में जब ग्रामीण विकास एवं पंचयती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर से पूछा गया तो उन्होंने मतवाना गांव सहित प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को जल्द ही सड़कों से जोड़ने की बात कही तो साथ ही एम्बुलेंस सड़क सुविधा को भी ग्रामीण इलाकों से जोड़ने का दावा किया है ताकि एम्बुलेंस सेवा को दूर दराज के ग्रामीण इलाकों से जोड़ा जा सके और मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने की सुविधा घर-द्वार पर मिल सके।