अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा: विश्व शांति के लिए दो हजार बजंतरी एक साथ बजाएंगे देव धुन

ख़बरें अभी तक: पूरे देश भर में दशहरा उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है वहीं कुल्लू जिला की अगर हम बात करें तो यहां पर दशहरा 8 से लेकर 14 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा से शुरू होने वाला उत्सव अपनी अनूठी पहचान देश नहीं दुनिया भर में रखता है इस वर्ष भी दशहरा उत्सव धूमधाम से मनाया जाए इसके लिए प्रशासन की तरफ से भी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इस बार के दशहरे का मुख्य आकर्षण 2000 बजंतरी द्वारा कुल्लवी वाद्ययंत्रों की देव धुन पर देवताओं का आह्वान करना रहेगा। यह कार्यक्रम 13 तारीख को दिन के समय एक साथ बजाए जाएंगे जिसमें सूबे  के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर विशेष रूप से शिरकत करेंगे और वाद्ययंत्रों की देव धुन को सुनेंगे ऐसा पहली बार हो रहा है जब इतने सारे बजंत्री एक साथ वाद्ययंत्रों की देव धुन बजायेंगे  और अपने देवी देवताओं का आवाहन करेंगे देवी देवता कारदार संघ ने भी इसको लेकर रूपरेखा तैयार करना शुरू कर दिया है।

आपको बता दें कि इस वर्ष दशहरा उत्सव में 331 देवताओं को निमंत्रण दिया गया है। वर्ष 1650 में तत्कालीन राजा जगत सिंह की ओर शुरू किया कुल्लू दशहरा कई परंपराओं और मान्यताओं को समेटे हुए है। 369 सालों से पहले राजवंश और अब प्रशासन हर बार 300 के करीब घाटी के देवी-देवताओं को दशहरे का न्योता देता आ रहा है। इस बार रिकॉर्ड 331 निमंत्रण दिए गए। न्योते पर करीब 200 किलोमीटर तक पैदल यात्रा कर नदियों, जंगलों, पहाड़ों से होते हुए अठारह करड़ू की सोह ढालपुर पहुंचते हैं। सात दिनों में एक जगह पर 331 देवी-देवताओं के दर्शन के लिए करीब 10 लाख से ज्यादा लोग, देशी-विदेशी पर्यटक, शोधार्थी हाजिरी भरते हैं। कुल्लू के तत्कालीन राजा जगत सिंह ने पंडित दुर्गादत्त की ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने के लिए अयोध्या से लाई भगवान रघुनाथ की मूर्तियों की पूजा के लिए दशहरा शुरू किया, लेकिन आज यह उत्सव देव-मानस मिलन के महाकुंभ में परिवर्तित हो गया है।