स्कूल के अध्यापकों के तबादले से बच्चों को पढ़ाई में हो रही भारी परेशानी

खबरें अभी तक। प्रदेश में सरकार द्वारा दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों को अपग्रेड कर वहां पर अलग-अलग विषयों को स्वीकृति प्रदान तो कर दी जाती है और वहां पर थोड़े बहुत अध्यापक भी तैनात कर दिए जाते हैं। तब उस क्षेत्र के बच्चों में काफी खुशी की लहर देखने को मिलती है वहां के बच्चे तभी से सपने देखना शुरू कर देते हैं। लेकिन उनके सपने तभी चकनाचूर हो जाते हैं जब उस स्कूल के अध्यापक वहां से स्थानांतरित कर दिए जाते हैं और स्कूल के छात्र पढ़ाई के बिना या तो अपना विषय बदल लेते हैं या फिर जो लोग पैसा खर्च कर सकते हैं वह दूसरे स्कूलों में चले जाते हैं और गरीब बच्चों का सपना, सपना बनकर ही रह जाता है।

मंजीर स्कूल में भी कुछ इसी तरह देखने को मिला। मंजीर स्कूल में भी सरकार द्वारा विज्ञान विषय को स्वीकृति मिल गई और यहां पर अध्यापकों की भी तैनाती की गई। अगर पिछले साल की बात करें तो वहां पर करीब 40 विद्यार्थी मेडिकल और नॉन मेडिकल के शिक्षा ग्रहण कर रहे थे लेकिन 6 महीने पहले उन अध्यापकों के तबादले होने की वजह से बच्चों को पढ़ाई में दिक्कत आने लगी जो लोग पैसा खर्च कर सकते थे उन्होंने अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों में पढ़ाई करने की लिए भेज दिया लेकिन जो गरीब लोग थे उनके बच्चों ने अपना विषय बदल कर दूसरा विषय रख लिया ताकि वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख पाए।

मंजीर व आस पास के बच्चों ने डॉक्टर व इंजीनियर बनने के सपने तो देखे थे लेकिन उनके अब सपने चकनाचूर हो चुके हैं और वह आर्ट्स विषय में पढ़ाई करने पर मजबूर हो रहे हैं। स्कूली छात्रों ने बताया कि उनके स्कूल में विज्ञान विषय के अध्यापक ना होने की वजह से उन्हें पढ़ाई में काफी दिक्कत हो रही थी यही वजह है कि उन्होंने अपना विषय बदल लिया है। उन्होंने कहा कि उनका सपना था डॉक्टर या इंजीनियर बने लेकिन यहां पर विज्ञान विषय के अध्यापक ना होने की वजह से उनका सपना पूरा नहीं हो पाया।

उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि हमने तो अपनी इच्छाओं का त्याग कर दिया है लेकिन यहां हमारे स्कूल में साइंस विषय के अध्यापक भेज दिए जाएं ताकि आने वाली जो हमारे छोटे भाई बहन हैं हमारी तरह उनके भी सपने चकनाचूर ना हो जाए। यहां के प्रधानाचार्य ने बताया कि मंजीर स्कूल में काफी अध्यापकों के रिक्त पद पड़े हुए हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले साल उनके स्कूल में मेडिकल व नॉन मेडिकल के करीब 40 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे थे लेकिन कुछ अध्यापकों के तबादले हो जाने की वजह से बच्चों को अपना विषय बदलना पड़ा या फिर स्कूल छोड़कर दूसरे स्कूल में जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि एसएमसी बैठक में मांग की गई है कि स्कूल में रिक्त पड़े पदों को भरा जाए ताकि बच्चों को पढ़ाई करने में कोई दिक्कत ना हो। इसके चलते उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों को यह मांग पत्र भेजा है कि एसएमसी के माध्यम से ही स्कूल में अध्यापकों को तैनात किया जाए ताकि बच्चों की आगे की पढ़ाई बाधित ना हो।