हिमाचल: माननियों की मौज,डेढ़ से चार लाख हुआ यात्रा भत्ता, राकेश सिंघा ने किया विरोध

हिमाचल प्रदेश विधानसभा मॉनसून सत्र के अंतिम दिन विधायकों, मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के यात्रा भत्तों में बढ़ौतरी के लिए सरकार की तरफ से लाये गए विधेयक का पक्ष और विपक्ष पूरा समर्थन मिला. विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गए. केवल एक मात्र माकपा से संबंधित ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने विधेयक का विरोध किया और बिल को निरस्त करने की सदन में मांग की. मुख्यमंत्री ने सदन में हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2019, मंत्रियों के वेतन और भत्ते संशोधन विधेयक 2019 और विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष वेतन संशोधन विधेयक को सदन में चर्चा और पारित के लिए रखा. जिसमें विपक्ष के विधायकों सुखविंदर सिंह सुखू और रामलाल ठाकुर ने भाग लिया.

सुखविंदर सिंह सुखू ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि विधायकों को सरकारी गाड़ियां भी मिलनी चाहिए इसलिए सदन इस पर भी विचार करे. कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुखु ने कहा कि विधायकों को अभी जो वेतन भत्ते और सुविधाएं मिल रही है वो बेहद कम है और इनमें इज़ाफ़ा किया जाना ज़रूरी है.

रामलाल ठाकुर ने कहा कि विधायकों के यात्रा भत्ते में थोड़ी से वृद्धि हो रही है इसको लेकर मीडिया में कई सवाल उठा रहे हैं और लोगों के बीच मे गलत धारणा बन रही है. इसलिए सदन को विधायक की सैलरी चीफ सेक्रेटरी से एक रुपया ज्यादा कर देनी चाहिए ताकि विधायक की सैलरी पर कोई सवाल न उठाएं.

राकेश सिंघा ने कहा कि सदन क्या संदेश लोगों के बीच मे देना चाहता है. प्रदेश आर्थिक संकट से गुजर रहा है तो विधायकों के यात्रा भत्ते बढ़ाने की क्या जरूरत है. सिंघा ने बिल का समर्थन नहीं किया. सिंघा ने कहा कि आज प्रदेश जिस आर्थिक संकट से गुजर रहा है तो ऐसे में इससे प्रदेश में और अतिरिक्त आर्थिक संकट ज्यादा बढ़ेगा और प्रदेश पर अनावश्यक वित्तिय बोझ पड़ेगा. लेकिन पूरे सदन में वेतन भते बढ़ाये जाने के लिए जो माहौल बना हुआ था उसे देखते हुए अकेले विधायक सिंघा को विशेष को तवज़्जो नहीं मिली और ध्वनिमत से तीनों विधेयक पारित किए गए.

वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने भी बिल को सही ठहराते हुए कहा कि जो आम आदमी पार्टी विधायकों और मंत्रियों के भत्ते और वेतन को लेकर सवाल करती थी और इन्हें खत्म करने की मांग करती थी उस पार्टी की दिल्ली सरकार ने कुछ दिन पहले ही विधायकों की सैलरी को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया है. सभी विधायकों को विधानसभा क्षेत्र में ऑफिस भी बनाया गया और दो विधानसभा के ऊपर एक रिसर्च स्कोलर तैनात किए गए है जिनकी सैलरी 1 लाख से ज्यादा है का प्रावधान किया है. विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार से दिल्ली सरकार का मामले को पूरा ब्यौरा मंगाने का आग्रह किया.

विधेयक के पास होने के बाद अब विधायकों,पूर्व विधायकों, मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के यात्रा भत्ते में सालाना 50 हजार से डेढ़ लाख तक की वृद्धि होगी. हालांकि प्रदेश 50 हजार करोड़ रुपये के कर्जे में डूबा हुआ है लेकिन माननियों के लिए खजाने में कोई कमी नहीं है.