स्त्रियों के बदन को परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं के नाम पर शुचिता के बोझ से इस कदर लाद दिया गया कि 21वीं सदी के दूसरे दशक के आखिरी वर्षो में भी वे इनसे मुक्ति पाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर मासिक धर्म (पीरियड) के मुद्दे पर ही चर्चा करें तो पता […]
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