खबरें अभी तक।ऐसा कहा जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार इस बार अपनी सरकार के आखिरी बजट में डिजिटल इंडिया की नीति को बढ़ावा देगी. भले ही सरकार बैंकिंग सेक्टर को पूरी तरह डिजिटलाइज करना चाहती हो, लेकिन कुछ टेक्निकल एरर के मामले ऐसे रूप में सामने आते हैं जो डिजिटलाइजेशन पर सोचने पर मजबूर कर देते हैं. ऐसा ही एक ताजा मामला जयपुर में सामने आया है.
यहां बैंक की गलती का खामियाजा एक चाय की दुकान पर काम करने वाले राजकुमार को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल, मामला नोट बंदी के वक्त का है. उस समय राजकुमार ने बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में 48 हजार रुपये जमा कराने गया था, बैंक के कर्मचारी ने गलती से 48 हजार की जगह 4 करोड़ 80 लाख रुपये खाते में जमा कर दिए.
हालांकि, इस गलती के बाद तत्काल ही बैंक ने गलती मान रुपये विड्राल कर लिए थे. 14 माह तक सब ठीक चल रहा था कि अचानक राजकुमार को इनकम टैक्स विभाग ने नोटिस भेज दिया.
इनकम टैक्स विभाग ने उसे पेश होने कहा. जब उन्होंने राजकुमार की कहानी सुनी तो उनके होश उड़ गए. इस बारे में राजकुमार का कहना है कि मैं उद्योग भवन के पास चाय की दुकान में काम करता हूं. हर माह मुझे 6 हजार रुपये पगार मिलती है. मैंने बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा में 18 नवंबर 2016 को 48 हजार रुपये जमा कराए थे. टेक्निकल एरर और क्लेरिकल मिस्टेक के कारण मेरे खाते में 4.80 करोड़ जमा हो गए.
उसने बताया कि बैंक कर्मचारी ने गलत एंट्री होने का हवाला देकर रुपये वापस निकाल भी लिए. मोटी रकम जमा होने पर इनकम टैक्स विभाग ने मुझे बुला लिया. अधिकारी मुझसे तीन दिन तक पूछताछ भी करते रहे. मैं उन्हें यह हर बार बताता हूं कि बैंक की गलती के कारण इतनी बड़ी रकम मेरे खाते में आई थी.
इसके बावजूद मुझे अब तक इनकम टैक्स विभाग चार बार नोटिस देकर बुला चुका है. हर बार अफसर कैशबुक, सेल्स बिल, स्टॉक रजिस्टर लाने को कहते हैं. मैं चाय की दुकान पर काम करता हूं, मेरे पास ये सब है ही नहीं.
बता दें कि राजकुमार को इनकम टैक्स विभाग ने रिटर्न भरने के लिए कहा है, लेकिन राजकुमार के पास रिटर्न भरने के लिए रुपए ही नहीं है.