दिल्ली में 100 करोड़ की लागत से बना प्लान

खबरें अभी तक।करीब 100 करोड़ रुपये के बजट से दिल्ली की आबोहवा को प्रदूषण से बचाने का एक नया प्लान तैयार किया गया है. इसके तहत धान की पराली जलाने पर रोक, चारा बैंक स्थापित करने, पराली की खेत में ही कॉम्पोस्ट‍िंग जैसे कई उपाय किए जाएंगे. यही नहीं, खेतों के प्रबंधन में बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा और इनमें हैप्पी सीडर जैसी नई मशीनों का इस्तेमाल होगा.

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में धान की पराली को जलाने के चलन को हतोत्साहित करने की इस पहल की अगुवाई केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय कर रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य यही है कि दिल्ली की आबोहवा को शुद्ध रखा जा सके. अधिकारियों के मुताबिक इस कार्यक्रम में काफी हद तक तकनीकी समाधान की जरूरत होगी, क्योंकि इसमें धान की फसल के बाद बचने वाले पराली को निपटाना ही सबसे बड़ी चुनौती है.

गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में धान की फसल कटाई के बाद बचने वाले पराली को जला देने का चलन जोर-शोर से चल पड़ा है. इसकी वजह से खासकर पिछले तीन-चार में दिल्ली में प्रदूषण काफी बढ़ जाता है और जाड़े में इसकी वजह से स्मोग बन जाता है.

नेशनल सेंटर फॉर ऑर्गनिक फार्मिंग द्वारा बायोवेस्ट डीकम्पोजर का विकास किया जा रहा है. इसके द्वारा पराली की खेत में ही कॉम्पोस्ट‍िंग कर दी जाएगी. यह पराली को 40 से 50 दिन में उपयोगी कम्पोस्ट में बदल देगा. योजना के अनुसार इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा. इसमें गाय-भैंसों के गोबर का भी इस्तेमाल हो जाएगा. असल में किसानों को खरीफ की फसल के बाद रबी यानी गेहूं की फसल के लिए अपने खेत को जल्दी तैयार करना होता है, इसलिए वे धान की पराली को जला देते हैं.

योजना के अनुसार राज्य सरकारों बेरोजगार युवाओं की सहकारी समितियां स्थापित करेंगी जिनके द्वारा किसानों को हैप्पी सीडर मशीनें किराए पर देने के केंद्र शुरू किए जाएंगे. हैप्पी सीडर ट्र्रैक्टर में लगी एक मशीन होती है जो पराली को काटकर जमा करती है, गेहूं की बुवाई करती है और कॉम्पोस्ट बने पराली को फिर खेत में डालती है. इसके अलावा चारा बैंक भी स्थापित किए जाने की भी योजना है, ताकि बचे हुए पराली को चारा के रूप में देश के दूसरे हिस्से में बेचा जा सके.