हिमाचल: गंगा की तर्ज पर ब्यास के लिए भी बनेगी डीपीआर

ख़बरें अभी तक। नमामि गंगे परियोजना की तरह देश की अन्य सभी मुख्य नदियों के बेसिन के जीर्णोद्धार, संरक्षण और समग्र एवं संतुलित विकास के लिए डीपीआर तैयार की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत ब्यास नदी के लिए अरबों रुपये की डीपीआर तैयार की जाएगी। इसके लिए हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एचएफआरआई) ने आवश्यक प्रक्रिया आरंभ कर दी है। इसी प्रक्रिया के तहत एचएफआरआई ने सोमवार को कुल्लू में वन्य प्राणी विंग के सम्मेलन कक्ष में एक परामर्श बैठक आयोजित की।

वन अरण्यपाल अनिल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों और नगर निकाय के पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर अनिल शर्मा ने बताया कि ब्यास नदी बेसिन की डीपीआर के लिए वन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। डीपीआर तैयार करने में सभी संबंधित विभागों के अलावा स्थानीय निकायों और स्थानीय निवासियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।

डीपीआर में पर्यावरण व जल संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण, पौधारोपण, कृषि-बागवानी, स्थानीय निवासियों की आजीविका और समग्र विकास के अन्य सभी पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह डीपीआर क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुरूप तथा स्थानीय लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने वाली होनी चाहिए।

डीपीआर के समन्वयक डॉ. विनीत जिश्टू ने बताया कि हिमाचल की पांचों मुख्य नदियों की रिपोर्ट तैयार करने के लिए एचएफआरआई को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इसमें वन विभाग नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा। डा. जिश्टू ने कहा कि नदियों को सिर्फ एक जलधारा के रूप में ही नहीं देखा जाना चाहिए। इनके साथ पूरी सभ्यता जुड़ी होती है। इसलिए ब्यास बेसिन की डीपीआर जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए सभी विभाग, स्थानीय निकाय और आम लोग अपने सुझाव अवश्य दें तथा विभागीय अधिकारी विस्तृत डाटा प्रस्तुत करें, ताकि ब्यास बेसिन के जीर्णोद्धार, संरक्षण और समग्र विकास के सभी पहलुओं को इसमें शामिल किया जा सके।

उन्होंने बताया कि डीपीआर के लिए वैब पोर्टल को विशेष रूप से इंटरएक्टिव बनाया जाएगा और इसमें सभी लोगों के सुझाव स्वीकार किए जाएंगे। फील्ड में जाकर भी स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों तथा आम लोगांे के साथ सीधा संवाद किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में मंडी और ब्यास बेसिन में आने वाले अन्य जिलों में भी इसी तरह की परामर्श बैठक आयोजित की जाएगी।

वन विभाग के अरण्यपाल अनिल शर्मा ने  बताया की मुख्य नदियों के बेसिन के जीर्णोद्धार, संरक्षण और समग्र एवं संतुलित विकास के लिए भारत सरकार द्वारा महत्वपूर्ण योजना चलायी जा रही है जिसके लिए आज वर्कशॉप का आयोजन किया गया था जिसमे चुनी गयी 10 नदियों के री जेनरेशन के लिए आज वर्कशॉप आयोजित की गयी।