ख़बरें अभी तक। 4 जुलाई को मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में जन्मे किशोर कुमार ने एक से बढ़कर एक हिट गाने दिए। हांलाकि एक वख्त ऐसा भी आया जब उनके गानों को बैन कर दिया गया था। किशोर कुमार को पहली बार देव आनंद की फिल्म ‘जिद्दी’ (1948) में गाने का मौका मिला। किशोर कुमार ने हिंदी सिनेमा में अपने गानों से लाखों दिलों को जीता। उनकी कई गानें हिंदी संगीत के लिए ऐतिहासिक माने जाते हैं। भाई बहनों में सबसे छोटे नटखट आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार का रूझान बचपन से ही पिता के पेशे वकालत की तरफ न होकर संगीत की ओर था।
महान अभिनेता एवं गायक के.एल.सहगल के गानों से प्रभावित किशोर कुमार उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। सहगल से मिलने की चाह लिये किशोर कुमार 18 वर्ष की उम्र मे मुंबई पहुंचे लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पायी। उस समय तक उनके बड़े भाई अशोक कुमार बतौर अभिनेता अपनी पहचान बना चुके थे। अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर नायक के रूप में अपनी पहचान बनाये लेकिन खुद किशोर कुमार को अदाकारी की बजाय पार्श्वगायक बनने की चाह थी। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हालांकि कभी किसी से नहीं ली थी। बॉलीवुड में अशोक कुमार की पहचान के कारण उन्हें बतौर अभिनेता काम मिल रहा था।
इसलिए विवादों में रहे किशोर दा
हरदिल अजीज कलाकार किशोर कुमार कई बार विवादों का भी शिकार हुए। सन् 1975 में देश में लगाये गये आपातकाल के दौरान दिल्ली में एक सांस्कृतिक आयोजन में उन्हें गाने का न्यौता मिला। किशोर कुमार ने पारिश्रमिक मांगा तो आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उनके गायन को प्रतिबंधित कर दिया गया। आपातकाल हटने के बाद पांच जनवरी 1977 को उनका पहला गाना बजा दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना जहां नहीं चैना वहां नहीं रहना।
किशोर कुमार को उनके गाये गीतों के लिये आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। किशोर कुमार ने अपने सम्पूर्ण फिल्मी करियर में 600 से भी अधिक हिन्दी फिल्मों के लिये अपना स्वर दिया। उन्होंने बंगला, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी और उड़िया फिल्मों में भी अपनी दिलकश आवाज के जरिये श्रोताओं को भाव विभोर किया