हिंदी उपन्यास को नई दिशा देने वाले मुंशी प्रेमचंद की 139 वीं जयंती आज

ख़बरें अभी तक। महान लेखक मुंशी प्रेमचंद की आज 139 वीं जयंती है। मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस के लमही गांव में हुआ था। प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य के खजाने को लगभग एक दर्जन उपन्यास और करीब 250 लघु-कथाओं से भरा है। प्रेमचंद के बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। ये महान लेखक कभी गांव के एक स्कूल में 18 रुपए तनख्वाह में पढ़ाता था। आइए उनसे जुड़े कुछ ऐसे और पहलू जानते हैं।

लेखन की शुरुआत प्रेमचंद ने उर्दू से की थी। उन्होंने पहला उपन्यास उर्दू में लिखा था। उन्होंने ‘सोज-ए-वतन’ नाम की कहानी संग्रह भी छापी थी जो काफी लोकप्रिय हुई। मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के बारे में तो काफी पढ़ा और लिखा गया है। लेकिन उनके निजी जीवन के बारे में लोगों को बहुत कुछ मालूम नहीं है। उनके जीवन के अनछुए पहलू को उनकी पत्नी शिवरानी देवी ने अपनी किताब ‘प्रेमचंद: घर में’ उजागर किया है।

एक बार बचपन में वह मोहल्ले के लड़कों के साथ नाई का खेल खेल रहे थे। मुंशी प्रेमचंद नाई बने हुए थे और एक लड़के का बाल बना रहे थे। हजामत बनाते हुए उन्होंने बांस की कमानी से गलती से लड़के का कान ही काट डाला उन दिनों मुंशी प्रेमचंद शिक्षा विभाग के डेप्युटी इंस्पेक्टर थे। एक दिन इंस्पेक्टर स्कूल का निरीक्षण करने आया। उन्होंने इंस्पेक्टर को स्कूल दिखा दिया। दूसरे दिन वह स्कूल नहीं गए और अपने घर पर ही अखबार पढ़ रहे थे। जब वह कुर्सी पर बैठकर अखबार पढ़ रहे थे तो सामने से इंस्पेक्टर की गाड़ी निकली।

इंस्पेक्टर को उम्मीद थी कि प्रेमचंद कुर्सी से उठकर उसको सलाम करेंगे। लेकिन प्रेमचंद कुर्सी से हिले तक नहीं। यह बात इंस्पेक्टर को नागवार गुजरी। उसने अपने अर्दली को मुंशी प्रेमचंद को बुलाने भेजा। जब मुंशी प्रेमचंद गए तो इंस्पेक्टर ने शिकायत की कि तुम्हारे दरवाजे से तुम्हारा अफसर निकल जाता है तो तुम सलाम तक नहीं करते हो। यह बात दिखाती है कि तुम बहुत घमंडी हो। इस पर मुंशी प्रेमचंद ने जवाब दिया, ‘जब मैं स्कूल में रहता हूं, तब तक ही नौकर रहता हूं। बाद में मैं अभी अपने घर का बादशाह बन जाता हूं।’

प्रेमचंद के उपन्यास गबन, गोदान, निर्मला आज भी वास्तविकता के बेहद करीब दिखते हैं। उन्होंने सिर्फ अपनी कहानियों का काल्पनिक रचना संसार रचने के बजाय अपने जीवन में भी उस यथार्थ को जिया। जब उन्होंने बाल विधवा शिवरानी देवी से विवाह किया तो उस जमाने में ये सामाजिक सरोकार से जुड़ा मामला था। प्रेमचंद सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में मशहूर और सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। प्रेमचंद की कहानियों के किरदार आम आदमी हैं। ऐसे ही उनकी कहानियों में आम आदमी की समस्याओं और जीवन के उतार-चढ़ाव दिखते हैं।

मुंशी प्रेमचंद की चर्चित कहानियां……

मंत्र, नशा, शतरंज के खिलाड़ी, पूस की रात, आत्माराम, बूढ़ी काकी, बड़े भाईसाहब, बड़े घर की बेटी, कफन, उधार की घड़ी, नमक का दरोगा, पंच फूल, प्रेम पूर्णिमा, जुर्माना आदि। प्रेमचंद्र ने लगभग 300 कहानियां और चौदह बड़े उपन्यास लिखे. सन् 1935 में मुंशी जी बहुत बीमार पड़ गए और 8 अक्टूबर 1936 को 56 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके रचे साहित्य का अनुवाद लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में हो चुका है, जिसमें विदेशी भाषाएं भी शामिल है।