हरियाणा पंजाब के बाद अब नशे की गिरफ्त में उत्त्तराखंड

ख़बरें अभी तक। हरियाणा पंजाब के बाद अब उत्त्तराखण्ड राज्य भी अब नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है खूबसूरत वादियों का ये राज्य अब नशे में बदनाम हो रहा है। देहरादून शहर किसी जमाने में नौकरशाहों से लेकर सेना के आला अफसरों तक के लिए रिटायरमेंट के बाद का पसंदीदा ठिकाना हुआ करता था। नहरों के साथ लीची और आम के बगीचों का यह शहर 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड राज्य की अस्थाई राजधानी बना। इसके बाद देहरादून की आबादी में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई। यहां सैकड़ों की संख्या में शैक्षणिक संस्थान खुल गए जिनमें देश भर से लाखों की संख्या में छात्र पहुंचने लगे। औद्योगिक मोर्चे पर भी बदलाव हुआ।

औद्योगिक क्षेत्रों में देश भर से मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में पहुंचते हैं। इन सब कारणों के चलते देहरादून का फैलाव और इसकी आबादी कई गुना बढ़ गई है। सबसे बड़ा कारोबार जो बढ़ा वो है नशे का। जिस पर आज भी कोई रोक नहीं लग पायी है। हाल ही में चंडीगढ़ में मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद शासन स्तर पर नीति बनाने को लेकर मंथन भी हुआ। इसी दौरान नशे के कारोबार पर जल्द रोकथाम हो इसके लिए अधिकारियो को सीएम त्रिवेंद्र ने सख्त आदेश दिए है। डीजीपी अनिल रतूड़ी का कहना है कि जल्द नशे और अपराध प्रदेश में चुनौती है लेकिन  कारोबार पर जल्द लगाम लगेगी।

चंडीगढ़ में उत्तर भारत के प्रांतो के समन्यक बैठक हुआ जिसमे पांच राज्यों के मुख्यमंत्री बैठक में शामिल हुए। बैठक में कहा गया कि सभी राज्यों के अधिकारी नशे और अपराध में आपसी समन्वय बनाये रखे ताकि नशे और अपराध पर रोक लग पाए। जिसके चलते पंचकूला में सचिवालय बनाकर सभी उत्तर भारत के राज्यों में नोडल अफसर तैनात कर दिए गए है। इस बैठक में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्य सचिव और डीजीपी शामिल हुए।