1 फरवरी को होगा देश का आम बजट पेश

खबरें अभी तक। फरवरी को देश का आम बजट पेश किया जाना है. बजट के दौरान कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनके बारे में आमतौर पर लोग जानते नहीं है. हालांकि ये शब्द आपकी आमदनी, व्यापार, पैसे से संबंधित होते हैं. आइए जानते हैं वो कौन-कौन से शब्द हैं और उनका क्या मतलब होता है..

टैक्सपेयर्स की वह इनकम जो टैक्स के दायरे में नहीं आती. यानी जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता.
यह कर निर्धारण साल होता है, जो किसी वित्तीय साल का अगला साल होता है. जैसे 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक होगा.

यह साल का वित्तीय साल होता है, जो कि 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है
यह एक वित्तीय साल है जो कर निर्धारण वर्ष से ठीक पहले आता है. यह 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है. इस दौरान कमाई गई रकम पर कर निर्धारण साल में टैक्स देना होता है. यानी 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 अगर वित्तीय साल है तो कर निर्धारण साल 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक होगा.

ऐसा व्यक्ति जो इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्स भरने के लिए उत्तरदायी होता है.
पूंजीगत एसेट्स को बेचने या लेन-देने से होने वाला मुनाफा कैपिटल गेन्स कहलाता है.
जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल एसेट कहलाती है. यह बॉन्ड, शेयर मार्केट और रॉ मैटेरियल में से कुछ भी हो सकता है.
कम अवधि के पूंजीगत एसेट्स 36 महीने से कम समय के लिए रखे जाते हैं. वहीं शेयर, सिक्योरिटी और बॉन्ड आदि के मामले में यह अवधि 36 महीने की बजाय 12 महीने की है.
सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को आर्थिक शब्दावली में ‘राजकोषीय घाटा’ कहा जाता है. इससे इस बात की जानकारी होती है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत होगी. कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधार को शामिल नहीं किया जाता है. यानी, सरकार के खर्च और आमदनी के अंतर को वित्तीय घाटा या बजटीय घाटा कहा जाता है.
इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों आदि का प्रस्ताव करते हैं. इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है. संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है.
डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो किसी भी व्यक्ति व संस्थान की आय, संस्थानों की आय और उसके स्रोत पर लगता है. इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स इस कैटेगरी में आते हैं.
सकल घरेलू उत्पाद अर्थात जीडीपी एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पादन और देश में दी जाने वाली सेवाओं का टोटल होता है.
जब खर्चा सरकार के राजस्व से ज्यादा हो जाता है, तब पैदा होने वाली स्थि‍ति को ही बजट घाटा कहते हैं.
राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और कुल राजस्व के बीच का फर्क है. इससे सरकार को यह तय करने में मदद मिलती है कि उसे कितना कर्ज लेना पड़ सकता है.
क्साइज ड्यूटी अथवा उत्पाद शुल्क वह शुल्क होता है, जो देश के भीतर बनने वाले उत्पादों पर लगाया जाता है. यह कस्टम ड्यूटी से अलग होता है. कस्टम ड्यूटी देश के बाहर से आने वाले उत्पादों पर लगाया जाता है. यह उत्पाद के प्रोडक्शन और खरीद पर लगता है