क्या जाति के आधार पर होती है राष्ट्रपति सुरक्षा गार्ड भर्ती ? केंद्र सरकार ने दिया हाईकोर्ट को जवाब।

खबरें अभी तक। हमारे देश के राष्ट्रपति सुरक्षा गार्ड में कुछ ऐसे प्रावधान है जो कि प्रत्येक नागरिक के लिए समान हैं। संविधान में प्रत्येक नागरिक को बराबरी का हक दिया गया है। संविधान में यह भी प्रावधान दिया गया है कि किसी भी व्यक्ति के साथ जाति,  रंग,  क्षेत्र आदि के आधार पर भेदभाव नहीं होगा। लेकिन फिर भी देश के संविधान का सबसे बड़ा पद जो राष्ट्रपति का है, उनकी सुरक्षा के लिए गार्ड की नियुक्ति में ही जाति के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है। राष्ट्रपति के गार्ड की भर्ती में केवल तीन जातियों को ही शामिल किया जा रहा है। इसी विषय पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, इसी याचिका पर केंद्र सरकार ने पक्ष रखा कि राष्ट्रपति के गार्ड की अलग से भर्ती नहीं होती। आर्मी से ही कार्य के अनुरूप टुकड़ियों को बांटा जाता है और कार्य के अनुरूप उनको नियुक्ति दी जाती है।

साथ ही बताया कि नियुक्ति करते हुए कास्ट नहीं बल्कि क्लास देखी जाती है। कद और अन्य शर्तें पूरे करने वालों को इस भर्ती में स्थान मिल सकता है और जाति की कोई शर्त नहीं है। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखकर इस बात का जवाब दिया कि राष्ट्रपति के गार्ड नियुक्त होने का अधिकार सिर्फ तीन जातियों के जवानों को ही नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि राष्ट्रपति के गार्ड को नियुक्त करने की प्रक्रिया जातिवाद है। यह पूरी तरह से गलत है।

 

याचिका के दौरान हरियाणा निवासी गौरव यादव ने राष्ट्रपति के गार्ड की 4 सितंबर, 2017 हुई भर्ती पर सवाल खड़े किए थे। इस भर्ती में केवल तीन जातियों – जाटों,  राजपूतों और जाट सिखों को भर्ती के लिए आमंत्रित किया था। गौरव यादव ने कहा कि वह यादव जाति से संबंधित है, और राष्ट्रपति के गार्ड की भर्ती के लिए सभी मानदंडों को पूरा करता है, सिर्फ जाति के कारण वह उसकी इस पद में भर्ती नहीं हो पाती।  ऐसा करना सीधे तौर पर संविधान के खिलाफ है।