हरिद्वार: हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की मिसाल कावड़ यात्रा, मुस्लिम पुरुष, महिलाएं दिन रात लगे रहते है कावड़ बनाने में

ख़बरें अभी तक। हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक है कावड़ यात्रा इस यात्रा में करोड़ों की संख्या में शिवभक्त कावड़िये हरिद्वार गंगा जल लेने आते हैं और जिस कावड़ को भोले के भक्त अपने कांधे पर लेकर जाते हैं। उसको हरिद्वार में रहने वाले मुस्लिम परिवार कई महीनों की मेहनत से बनाते हैं। कांवड़ मेले से कई महीने पहले ही मुस्लिम समाज कावड़ तैयार करने मे लग जाता है। कावड़ बनाने के काम में परिवार के बुज़ुर्ग से लेकर महिलाएं और बच्चे भी दिन रात शामिल रहते हैं। इन मुस्लिम परिवार के बच्चों को बचपन से ही कावड़ बनाने की प्रेरणा इनको अपने परिवार से विरासत में मिलती है इसलिए कांवड मेला एकता और भाईचारे का भी संदेश देता है। वहीं इन कारीगरों में एक महिला बबली राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता है। डूबते बच्चों को बचाने के लिए बबली को 2004 में राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा था।

धर्म के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने के किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे लेकिन हरिद्वार कांवड मेले में आपसी भाईचारे की बडी मिसाल देखी जा सकती है कांवडियों के कंधों पर आप जिन सजी कांवडों को देखते हैं उनको बडी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग बनाकर बेचते हैं पिछले कई दशकों से 25 से जयादा मुस्लिम परिवार हरिद्वार में कावड़ बना रहे है इन कारीगरों का कहना है की कावड़ भाईचारे का काम है और इनको कांवड़ियों की सेवा का मौका मिलता है इनकी कई पीढ़िया इस काम को करती आई है मुस्लिम समाज के इन कारीगरों के अनुसार इससे ना केवल उनका रोजगार चलता है बल्कि कांवड बनाना उनके लिए बडे सवाब पुण्य का काम है कावड़ बनाने में इनके परिवार के बच्चों से लेकर बड़े तक लगे रहते हैं कावड़ को बनाने के लिए इन्हे कई महीने पहले से ही लग जाते हैं और शिव भक्त कावड़ियों की सेवा कर इनके मन को काफी सकून मिलता है

कावड़ बनाने का काम पुरुष ही नही महिलाए भी बड़ी शोक और सहयोग से करती है। कांवड़ बनाने वाली महिलाओ का कहना है की यह अपनी ससुराल से हरिद्वार कावड़ बनाने आती है और यह सब रोजे से रहकर भी कावड़ बनाते है। भोले के लिए कावड़ बनने से इनके मन को शांति मिलती है इन बच्चों को विरासत में मिले इस काम को करने से ख़ुशी मिलती है। ये अपने घरवालों के साथ कावड़ बनाने का काम करते है कार्य पूरा होने पर कावड़ को ज्वालापुर से हरिद्वार हरकी पोड़ी बेचने जाते है ये कावड़ भी बनाते है और 5 वक़्त की नमाज़ भी पढ़ते हैं।

मुस्लिम परिवारों द्वारा कावड़ बनाने की इस पहल को हरिद्वार आने वाले कावड़िए भी काफी सराह रहे हैं। कावड़ियों का कहना है कि मुस्लिम परिवार द्वारा बनाई जा रही कावड़ से एक संदेश जाता है कि हिंदू मुस्लिम दोनों भाई भाई है। कावड़ बनाना मुसलमानों की भी अपनी एक श्रद्धा है यह बहुत ही अच्छा काम है। मुसलमानों द्वारा इस पहल से उन लोगों को भी संदेश जाएगा जो हिंदू मुस्लिम को आपस में लड़ाने का काम करते हैं। हमें भी काफी अच्छा लग रहा है की जिस कावड़ को हम अपने कांधे पर लेकर जा रहे हैं। वह मुस्लिम भाइयों द्वारा बनाई गई है।

शिवभक्त कावड़िये जिस कावड़ में गंगा जल लेकर अपने गंतव्य की और वापस जाते है। उस कावड़ को मुस्लिम समाज के लोग महीनो पहले से बनाना शुरू कर देते है। मुस्लिम समाज की ये पहल एकता भाईचारे की जहां अनूठी मिसाल पेश कर रही है। तो वहीं यह मिसाल ऐसे लोगों के लिए सबक भी है जो निजी स्वार्थ के चलते हिन्दू- मुस्लिम को आपस में लडाने का काम करते हैं। हम अपील करता है कि जिस तरह से हरिद्वार कांवड़ मेला हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बन रहा है। वैसे ही पूरे देश में हिंदू मुस्लिम एकजुट होकर रहे जिससे उन लोगों को संदेश दिया जा सके जो हिंदू मुस्लिम को आपस में लड़ाने का काम करते हैं।