हिसार: सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल की सजा खत्म करने की अपील को कोर्ट ने किया खारिज

ख़बरें अभी तक। हिसार के सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल की गिरफ्तारी के दौरान पुलिस का विरोध करने के चलते चार महिलाओं और एक बच्चे की हत्या के मामले में मिली आजीवन कारावास की सजा को सस्पेंड किए जाने की मांग को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है। रामपाल की तीन महिला अनुयायियों बबीता उर्फ बॉबी, पूनम और सावित्री की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि सजा के खिलाफ उनकी अपील के विचाराधीन रहते उनकी बाकी रहती सजा की अवधि को सस्पेंड कर दिया जाए। जस्टिस जसवंत सिंह और जस्टिस ललित बतरा की खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए कोई राहत नहीं दी जा सकती। ऐसे में याचिका को खारिज किया जा रहा है।

पुलिस को जिम्मेदार ठहराया

याचिका में कहा गया कि अनुयायी अपने गुरु से मिलने आए थे। ऐसे में पुलिस ने गुरु को गिरफ्तार करने की कोशिश की तो लोग उग्र हो गए। पुलिस ने टियर गैस छोड़ी और स्मोक छोड़ी। दम घुटने से मौतें हुई जिसके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। पुलिस इसके लिए जिम्मेदार है।

सरकार ने विरोध किया

हरियाणा सरकार की तरफ से इस राहत का विरोध करते हुए कहा गया कि रामपाल को वारंट ऑफ अरेस्ट से बचाने के लिए अनुयायियों ने आश्रम के बाहर चेन बनाई। इसमें औरतों व बच्चों को बड़ी संख्या में शामिल किया गया है। पुलिस को आश्रम में घुसने से रोकने के लिए यह सारी कवायद की गई। पुलिस पर पत्थर बरसाए गए। इस घटनाक्रम में चार महिलाएं व एक बच्चे की मौत हो गई।

ये है मामला

वर्ष 2006 में विवाद तब आरंभ हुआ था जब संत रामपाल ने आर्यसमाज और स्वामी दयानंद पर टिप्पणी की। इसके बाद रामपाल समर्थकों और आर्य समाज समर्थकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। इस दौरान गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो

गई थी। पुलिस ने इस मामले में रोहतक सदर थाने में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। इसके बाद मामले का ट्रायल चल रहा था और संत रामपाल को जेल भी जाना पड़ा था। 2 अप्रैल 2008 को हाईकोर्ट ने संत रामपाल को जमानत दे दी थी। इसी जमानत को लेकर हाईकोर्ट ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए इसे रद्द करने की कार्रवाई आरंभ कर दी थी। 10 नवंबर को न्यायालय की आपराधिक अवमानना मामले की कार्रवाई के दौरान गैर जमानती वारंट के बावजूद हाईकोर्ट में पेश न होने पर हाईकोर्ट ने 2008 में दी गई जमानत को रद्द कर दिया था।

हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया

रामपाल व अन्य पर 12 जुलाई 2006 को एफ.आई.आर. नंबर 198 दर्ज की गई थी। इसके तहत धारा 148, 302, 323, 324, 307, 12बी, 149 और आम् र्स एक्ट की धारा 25 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इन मामलों की सुनवाई हिसार जिला अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चल रही थी। 14 जुलाई 2014 को रामपाल समर्थकों ने जिला अदालत का घेरा किया था और वकीलों के साथ झड़प हुई थी। वकीलों ने इसके बाद इसकी शिकायत जिला एवं सत्र न्यायधीश के माध्यम से हाईकोर्ट को दी थी। हाईकोर्ट ने 22 जुलाई को इस शिकायत को आधार बनाते हुए संत रामपाल के खिलाफ स्वयं संज्ञान लेते हुए न्यायालय की आपराधिक अवमानना का मामला बनाया था। इसके बाद रामपाल को पेश होने के लिए कहा गया लेकिन उसके पेश न होने पर गैर जमानती वारंट जारी कर दिए गए थे। पुलिस रामपाल को गिरफ्तार करने पहुंची तो अनुयायियों ने इसका विरोध किया।