मिशन चंद्रयान-2: IIT कानपुर में बना “लुनर  रोवर” चंद्रमा की सतह के कई रहस्यों से उठाएगा पर्दा

ख़बरें अभी तक। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 15 जुलाई को होने वाली चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की तैयारी में जुटा है। दरअसल चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्रमा मिशन है। इस मिशन की खासियत यह है कि पहली बार भारत चंद्रमा की उत्तरी सतह पर ‘लुनर रोवर’ उतारेगा।

15 जुलाई को भारत चंद्रयान मिशन-2 का आगाज करेगा. IIT कानपुर द्वारा निर्मित ‘लुनर रोवर’ यानी मानवरहित चंद्रयान को चंद्रमा पर भेजा जाएगा, जो चंद्रमा की सतह के कई रहस्यों से पर्दा उठाएगा। यह पहली बार है कि मानवरहित चंद्रयान भारत की ओर से चंद्रमा की उत्तरी सतह पर लैंड करेगा, जो पूरी दुनिया के लिए अभी अछूता है।

जानें क्या है ‘लूनर रोवर’

15 जुलाई से चंद्रयान मिशन-2 का आगाज करेगा भारत.IIT कानपुर द्वारा निर्मित ‘लुनर रोवर’ यानी मानवरहित चंद्रयान को चंद्रमा पर भेजा जाएगा. यह चंद्रयान चंद्रमा से 3D इमेज इसरो को भेजेगा. यह पहला मौका है, जब चंद्रमा के उत्तरी हिस्से में किसी देश द्वारा कोई चंद्रयान उतारा जा रहा है.इसको लेकर पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हुई हैं.

IIT कानपुर द्वारा निर्मित ‘लुनर रोवर’ को तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद

तैयार किया जा सका है.इसको तैयार करने में लगभग 50 लाख रुपये की लागत आई है.इस चंद्रयान की मुख्य खासियत यह है कि यह मोशन प्लैनिंग है.मोशन प्लैनिंग से तात्पर्य यह है कि यह चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर कैसे,

कब और कहा जाएगा

‘लुनर रोवर’ में कम एनर्जी खर्च होने वाला सिस्टम डेवेलप किया गया है.इस मॉडल में तीन अहम मॉड्यूल हैं. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. आईआईटी कानपुर ने इसके मोशन प्लैनिंग सिस्टम पर काम किया है. चंद्रयान-2 मिशन के तहत यह चंद्रयान चांद पर उतरते ही मोशन प्लैनिंग का काम शुरू कर देगा. इसके अलावा यान के संचालन में ज्यादा खर्च न हो इसके लिए भी आईआईटी ने काम किया है.