हिमाचल वन सेवा से सेवानिवृत अधिकारी एमपी वशिष्ट की मेहनत लाई रंग, पालमपुर में उगाए सेब

ख़बरें अभी तक। कहते हैं कि ‘जहां चाह है, वहां राह भी है’, सेवा निवृति के पश्चात आम तौर पर उम्र के जिस पढ़ाव पर लोग घर में आराम फरमाते हैं और घूमने-फिरने में समय व्यतीत करते हैं। पालमपुर के सेवानिवृत अधिकारी ने पालमपुर में सेब का बगीचा तैयार कर मिशाल पैदा कर दी है।

सरकारी क्षेत्र में सेवा के दौरान कभी अपना फलों का बगीचा लगाने का सपना देखने वाले वरिष्ठ अधिकारी एमपी वशिष्ट ने प्रदेश सरकार की सहायता से विरान पड़े लगभग 13 कनाल भूमि पर सेब का बगीचा तैयार कर उदाहरण पेश कर दिया। धौलाधार पहाड़ियों के आंचल में पालमपुर उपमण्डल की ग्राम पंचायत राख के गांव भौंट में अपने बेटे के साथ मिलकर जमीन खरीदी और कड़ी मेहनत और फल विशेषज्ञों की राय पर सुंदर फलों का बगीचा तैयार कर दिया। आज वशिष्ट के बगीचे में लगभग सभी पौधों पर सेब की फसल बाजार में आने को तैयार है।

निचले हिमाचल में सेब तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन प्रदेश के बागवानी विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा लो-चिलिंग वरायटी की पौध तैयार करने से निचले हिमाचल मे आने वाले समय में सेब की फसल तैयार होने की संभावानायें प्रबल नजर आ रही हैं। बागवानी और कृषि विभाग के सहयोग से एमपी वशिष्ट ने राख (भौंट) में 13 कनाल में सेब के अलग-अलग वरायटी के 350 पौधे रोपित किये हैं। बागीचे में रंग और आकार में अच्छे फल आने से वशिष्ट और बागवानी विभाग काफी उत्साहित है।

अनुदान के रूप में मिली सरकारी सहायता

वशिष्ट के मुताबिक उन्होंने वैज्ञानिक परामर्श परसेब की लो-चिलिंग वरायटियों अन्ना और डोरसेट के पौधे स्वयं प्रशिक्षण लेकर तैयार किये। उन्होंने 13 कनाल के बागीचे में कृषि विभाग के परामर्श पर 6 लाख के उपदान पर सौलर फेंसिंग, फलों को पक्षियों और ओला वृष्टि से बचाव के लिए 80 प्रतिशत अनुदान पर ओला अवरोधक जाली तथा सिंचाई के लिए 90 प्रतिशत अनुदान पर टपक सिंचाई प्रणाली भी लगवाई है। इसके अलावा कीटनाशक दवाईयों और पौधों पर उपदान भी प्राप्त हुआ है।

उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश दिया कि नौकरियों के पीछे ना भाग कर कृषि और बागवानी क्षेत्र में अपना भविष्य सवार सकते हैं तथा खेतीबाडी को अच्छी कमाई का ज़रिया बना सकते हैं। उन्होंने युवाओं से आहवान किया कि सरकार द्वारा कृषि,बागवानी क्षेत्र में बहुत सी कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है इनका लाभ उठाकर इसे स्वरोगार के रूप में अपनाएं।

फल उत्पादन से समृद्ध होंगे बागवानों

विषयवाद विशेषज्ञ डॉ0 नरोतम कौशल का कहना है कि धौलाधार पहाड़ियों के साथ लगते क्षेत्रों में सेब के साथ नाशपाती, खुरमानी, प्लम, आडू, पीकानट, जपानी फल तथा कीवी उत्पादन के लिए अनुकूल है। स्नोलाईन के नजदीक होने से यहां चलने वाली ठण्डी हवाएं भी फल, फूल तथा सब्जी उत्पादन के लिए अनुकूल रहती हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को फसल विविधिकरण की दिशा में जाने की जरूरत है, जिससे किसानों और बागवानों की आमदन बढ़ने से उनकी आर्थिकी में काफी सुधार होगा।

उन्होंने कहा कि बागवानी, किसानों की आर्थिकी में बदलाव का सबसे कारगर जरिया बन सकती है। बागवानी विभाग के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस क्षेत्र में तैयार सेब प्रदेश के अन्य भागों से पहले जून माह के अंतिम सप्ताह या जुलाई के पहले सप्ताह में तैयार हो जाता है। धौलाधार के साथ लगते क्षेत्रों में लोगों ने सेब के कई किस्मों के पौधे तैयार किये हैं, जिसका स्वाद और आकार अन्य ठंडे इलाकों के समान ही है। बाजार में सबसे पहले फल आने से इसका भाव भी अच्छा प्राप्त हो रहा है। किसान सेब के पौधे लेने के लिए विकास खण्ड कार्यालय में उद्यान विकास अधिकारी, विषयवाद विशेषज्ञ पालमपुर कमरा न0 312 संयुक्त कार्यालय परिसर पालमपुर के अतिरिक्त पालमपुर स्थित फल संतति एवं प्रदर्शन केंद्र से उपदान पर पौधे प्राप्त कर सकते हैं