जानिए, स्वामी विवेकानंद जी के जीवन की कुछ रोचक बातें ?

खबरें अभी तक। 12 जनवरी 1863 में भारत  को ही नहीं पूरे विश्व को एक महान और बुद्धिमान व्यक्ति मिला. हम बात कर रहे हैं भारत में जन्मे स्वामी विवेकानंद जी की. स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था. उनके बच्चपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था. नरेंद्र अपने पिता के देहांत के बाद महान संत रामकृष्ण परमहंस की शरण में पहुंचे. परमहंसजी ने नरेंद्र को देखा तो तुरंत ही पहचान लिया की ये वही शिष्य है जिसकी मुझे तलाश थी. परमहंसजी ने नरेंद्र को अपनी शरण में ले लिया. इनकी कृपा से नरेंद्र को आत्म-साक्षात्कार प्राप्त हुआ. इसके बाद नरेंद्र परमहंस जी के शिष्यों में प्रमुख हो गए. कुछ ही समय बाद नरेंद्र ने संन्यास ले लिया. संन्यास लेने के बाद इनका नाम बदलकर विवेकानंद रख दिया गया.

चलिए जानते हैं स्वामी विवेकानंद की कुछ अहम गाथाएं-

एक बार स्वामी विवेकानंद अपने आश्रम में शो रहे थे. तभी एक दुखी व्यक्ति स्वामी जी के आश्रम में आता है और उनके चरणो में गिरकर उन्हें अपना दुख बताता है. व्यक्ति बोला मैं खूब मेहनत करता हूं. हर काम खूब मन लगाकर करता हूं. फिर भी आज तक मैं कभी सफल व्यक्ति नहीं बन पाया. स्वामी जी ने व्यक्ति की बात सुनने के बाद कहा आप मेरे कुत्ते को थोड़ी देर घुमाकर ले आइये तब तक में आपकी समस्या का समाधान ढूढता हूं. व्यक्ति कुत्ते को घूमाने ले गया.

कुछ समय बीतने के बात वह व्यक्ति कुत्ते को ले आता है. स्वामी जी ने उस व्यक्ति से पूछा ये कुत्ता इतना आंफ क्यूं रहा है तुम तो बिल्कुल भी नहीं थके हो ? व्यक्ति ने जवाब दिया मैं सीधे अपने रास्ते पर चल रहा था लेकिन ये कुत्ता इधर उधर रास्तों में भागता रहा कुछ भी देखता तो उधर ही दौड़ जाता था इसलिए यह इतना हांफ रहा है. स्वामी जी हंसे और बोले आपकी बातों पर ही आपकी समस्या का समाधान छीपा हुआ है. तुमहारी मंजिल तुमहारे सामने होती है लेकिन तुम इधर उधर भागते हो इसलिए तुम अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाए.

व्यक्ति को समझ आ गया कि यदि सफल होना है तो मंजिल पर ध्यान देना जरूरी है. व्यक्ति को कभी भी अपना एक लक्ष्य बनाना चाहिए और उसे पाने के लिए संघर्ष करना चाहिए.