1 जुलाई का वह निर्णय जिसे विपक्षी पार्टियां बनाना चाहती थी चुनावी मुद्दा !

खबरें अभी तक। 1 जुलाई का दिन भारतीय अर्थव्यवस्था में एक नया सुधार लाया था. इस दिन केंद्र की मोदी सरकार ने ‘एक देश एक टैक्स’ का नारा दिया. 1 जुलाई 2017 को मोदी सरकार ने सभी टैक्स हटाकर सिर्फ एक टैक्स GST लगाया था. 2014 में भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था में कई बदलाव किए. इन बदलावों में एक GST भी शामिल था.

10 साल बाद फिर एक बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारी बहुमत से बीजेपी 2014 में सत्ता में आई. सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने कई बदलाव किए.  8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे मोदी सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की. यह घोषणा आम-जन के लिए बेहद ही चौकाने वाली थी. चलिए ये सब छोड़ हम बात करते हैं GST ( गुड्स एंड सर्विसीज टैक्स या वस्तु एवं सेवा कर) की. GST को सरकार और कई अर्थशास्त्रियों ने स्वतंत्रता के बाद से सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है. इस टैक्स के जरिए सरकार ने केंद्र एवं राज्यों द्वारा लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश में एक कर लागू किया.

GST में सर्विस टैक्स को चार भागो में बांटा गया है- 5 फीसदी,12 फीसदी,18 फीसदी और 28 फीसदी. टेलिकॉम और फाइनेंशियल सेक्टर के लिए 18 फीसदी टैक्स, ट्रांसपोर्ट सर्विस पर 5 फीसदी टैक्स. मेट्रो,नॉन एसी ट्रेन और धार्मिक यात्राओं पर कोई टैक्स नहीं. स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी कोई टैक्स नहीं लगाया गया है. ज्वैलरी पर मेकिंग चार्ज 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया गया.

हालांकि विपक्ष सरकार के इस फैसले के खिलाफ रहा. विपक्ष ने GST का नाम गब्बर सिंह टैक्स रख दिया. विपक्ष का कहना था GST से बड़े-बड़े व्यापारियों को लाभ हुआ और छोटे व्यापारियों को इससे खासा नुकासन हुआ है. अभी भी विपक्षी पार्टियां GST को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर रहती हैं और GST को गरीबों के लिए अभिशाप और अमीरों के लिए लाभ बताती है.