ख़बरें अभी तक: आमतौर पर गर्मियों में धूप में अधिक देर तक बाहर रहने के कारण स्किन झुलस जाती है। गर्मियों में सनबर्न और टैनिंग बहुत ही आम समस्या है लेकिन क्या आपने कभी सन प्वाइजनिंग के बारे में सुना है. यह एक तरह का सनबर्न ही है लेकिन यह इसका सबसे गंभीर रूप होता है जो न केवल दर्दनाक होता है बल्कि स्किन और शरीर के अन्य हिस्सों के लिए काफी खतरनाक भी हो सकता है।अगर आप सोच रहे हैं कि आपको इसके लक्षणों के बारे में कैसे पता चलेगा तो आपको बता दें कि आप खुद ही इन्हें आसानी से समझ सकते हैं।
यदि आपकी त्वचा पर सनबर्न हो गया है और यह अब तेजी से बढ़ रहा है तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। इससे बचाव के लिए आप अपने शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखें. वयस्कों के शरीर का सामान्य तापमान 97 से 99 डिग्री फेरेनाइट के बीच होता है। सन प्वाइजनिंग के कारण आपके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा कम हो जाती है जिस कारण आपको फ्लू के लक्षण नजर आने लगते हैं. आपको घबराहट जैसा भी महसूस हो सकता है. इतना ही नहीं सन बर्न बढ़ने से व्यक्ति के अंदर उलझन बढ़ने लगती है, बेहोशी सी छाने लगती है, तेज ठंड लगने लगती है और मिचली के साथ उल्टी भी आने लगती है. शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का कम होना इसका बहुत गंभीर संकेत होता है क्योंकि इसकी कमी से आपको कमजोरी महसूस होने लगती है.
सनबर्न या सन प्वाइजनिंग से बचने का सबसे पहला कारगर उपाय है कि आप तेज धूप में न जाएं. या जब भी आपको धूप में निकलना हो तो आप घर से निकलने से करीब 30 मिनट पहले सनस्क्रीन लगा लें और खूब सारा पानी पीके ही निकलें. सनस्क्रीन का एसपीएफ 30 या इससे ऊपर होना चाहिए. जब भी धूप में निकलें कॉटन के कपड़े पहनें. अपने शरीर को पूरा ढक कर रखें, सन एक्सपोज से खुद को बचाए रखने की कोशिश करें.