डेढ़ साल बाद कुष्ठ रोगियों को नसीब हुई छत, अवैध कब्जे के चलते बेघर हुए थे कुष्ठ रोगी

ख़बरें अभी तक। करीब डेढ़ वर्ष पहले हाईकोर्ट के आदेशों के बाद रेलवे की भूमि में बनाये गए सात अवैध निर्माणों को तोड़ा गया था।  जिसमें 4 मंदिर, एक गौशाला, एक सरकारी स्कूल और एक कुष्ठ आश्रम शामिल थे। अवैध कब्जे हटाए जाने के बाद सबसे ज्यादा नुक्सान कुष्ठ आश्रम का ही हुआ था क्योंकि इस आश्रम में 20 के करीब परिवार रह रहे थे, जिससे यह सभी परिवार सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में भी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए थे।

IAS अधिकारी राकेश प्रजापति द्वारा ऊना में बतौर डीसी पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही कुष्ठ रोगियों को छत मुहैया करवाने की दिशा में विशेष कदम उठाने शुरू कर दिए थे। डीसी राकेश प्रजापति ने कोटला खुर्द के समीप कुष्ठ आश्रम के लिए भूमि आवंटित की और विभिन्न विभागों के सहयोग से करीब 45 लाख की लागत से कुष्ठ रोगियों के लिए प्री-फैबरिकेटिड ढ़ांचा तैयार करवाया।

इस ढांचे में कुष्ठ रोगियों के रहने के लिए 20 कमरे बनाये गए है जबकि इसके साथ ही शौचालयों की भी व्यवस्था की गई है। कोटला खुर्द में तैयार छिन्नमस्तिका कुष्ठ आश्रय स्थल का आज पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने उद्घाटन किया। वीरेंद्र कंवर ने कुष्ठ रोगियों को पेश आने वाली अन्य समस्यायों को भी शीघ्र दूर करने का आश्वासन दिया।

वहीं डीसी ऊना राकेश प्रजापति ने बताया कि जिला में सरकारी स्तर पर पहली बार प्री-फैबरिकेटिड ढ़ांचा बनाया गया है। डीसी ऊना ने बताया कि कुष्ठ आश्रय स्थल के निर्माण के लिए चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट के अलावा कई विभागों ने सहयोग किया है।

वहीं आज आशियाने मिलने के बाद कुष्ठ रोगियों के चेहरे खिल उठे है। कुष्ठ रोगियों ने कहा कि घर टूटने के बाद से वो खुले आसमान के नीचे ही समय बिताने को मजबूर थे लेकिन अब सरकार और प्रशासन ने उनके लिए आशियाने बनाकर तैयार कर दिए है।