मेवात: एनएचएम कर्मचारियों की नौवें दिन भी हड़ताल जारी

ख़बरें अभी तक। अपनी मांगों को लेकर बुधवार को नौवें दिन भी एनएचएम कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इस दौरान तकरीबन सौ कर्मचारियों ने अपने खून से पत्र लिखकर प्रदेश के सीएम व देश के पीएम को भेजे। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। हड़ताल को 15 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें स्थाई सेवा सुरक्षा के अलावा सेवा नियमों की वेतन विसंगतियां व आवयश्क संशोधन, सातवें वेतन आयोग का लाभ देने सहित विभिन्न मांगें है। जिनको लेकर कई बार वो आवाज उठा चुके है। उन्होनें कहा कि सरकार जब तक उनकी मांगों को नहीं मानती हड़ताल जारी रहेगी।

आपको बता दें कि एनएचएम कर्मचारी कई माह के बकाया वेतन से लेकर जॉब की गारंटी चाहते हैं। अल आफिया सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में एनएचएम के सैकड़ों कर्मचारी कामकाज छोड़ दरी बिछाकर पिछले कई दिनों से बैठे हुए हैं। बता दें कि नूंह जिले में एनएचएम कर्मचारियों की संख्या 550 से अधिक है। जिनमें अकाउंट , पैरामेडिकल , चालक, नर्स इत्यादि स्टाफ शामिल है। बिना स्टाफ के डॉक्टर भी कार्यालय के कामकाज से लेकर मरीजों के स्वास्थ्य इत्यादि की जांच नहीं कर पाते।

सामान्य अस्पताल से लेकर नूंह, पुन्हाना, तावडू, फिरोजपुर झिरका सीएचसी से लेकर पीएचसी ही नहीं हेल्थ सेंटर पर एनएचएम के कर्मचारी तैनात हैं। एनएचएम कर्मचारियों को भले काम-समान वेतन देने का फैसला सरकार कुछ माह पहले ले चुकी है, लेकिन उन्हें जॉब की गारंटी चाहिए, ताकि उन्हें 58 वर्ष की आयु तक नौकरी से नहीं हटाया जाये। अब देखना यह है कि सूबे के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज एनएचएम कर्मचारी संघ की इस हड़ताल को कितना सीरियस ढंग से लेते हैं।

इतना ही नहीं जो मरीज गंभीर बिमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती हैं, उन्हें भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। प्रदेश भर में वैसे तो स्टाफ-डॉक्टरों की कमी है, लेकिन नूंह जिला इसमें सबसे आगे है। यहीं कारण है कि 550 से अधिक एनएचएम कर्मचारियों के भरोसे जिले की स्वास्थ्य सेवाएं चलाई जा रही हैं। कर्मचारी भी इस बात को बखूबी जानते हैं ,लेकिन मनोहर लाल खट्टर सरकार के लिए एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल 2019 के रण से पहले चिंता बढ़ाने का काम कर सकती है। कर्मचारी दो टूक कह रहे हैं कि कई बार सरकार के साथ बैठकें हुई, हड़ताल हुई। भरोसे तो मिले, लेकिन अमल आज तक नहीं हुआ।