क्यों हो रही थी हज सब्सिडी को खत्म करने की मांग?

खबरे अभी तक। केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को हज सब्सिडी खत्म करने का फैसला किया. फैसला इसी साल से लागू होगा. इसे लेकर पक्ष और विपक्ष में तमाम तर्क दिए जा रहे हैं तो सियासत भी शुरू हो गई है. हालांकि, हज सब्सिडी खत्म करने की शुरुआत 2012 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से हुई थी.

यूपीए सरकार ने इस चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की शुरुआत की थी और अब मोदी सरकार ने एक झटके में इसे पूरी तरह खत्म कर दिया है. मुस्लिम समुदाय के लोग इसकी मांग लंबे अरसे से करते आ रहे हैं. जानिए क्या था इसके पीछे तर्क और क्या था हज सब्सिडी का देश में इतिहास.

हज सब्सिडी की ऐसे हुई थी शुरुआत

आजादी के बाद 1954 तक मुम्बई की मुगल शिपिंग कम्पनी के जहाजों से ही हज यात्री जाते थे. लेकिन 1954 में हवाई मार्ग से हज यात्रा शुरू हुआ. लेकिन अब भी बड़ी संख्या में यात्री समुद्री मार्ग ही जाते थे. 1960 के  दशक में खाड़ी युद्ध, उसके बाद तेल निर्यातक देशों के संगठन OPEC के बनने के बाद ईंधन का खर्च बढ़ा और 1973 में हज यात्रियों को लेकर जा रहे एक जहाज के हादसे के बाद 1973 में सरकार ने फैसला किया कि अब हज यात्री सिर्फ हवाई मार्ग से ही जाएंगे. जहाज यात्रा रुक जाने से जायरीनों पर जो अतिरिक्त खर्च बढ़ा उससे राहत दिलाने के लिए इंदिरा गांधी की सरकार ने हवाई यात्रा पर सब्सिडी की शुरुआत की.

किनको मिलती थी सब्सिडी

दुनिया के मुसलमानों की तरह भारत के मुसलमान भी सऊदी अरब हज के लिए जाते हैं. भारतीय हाजियों की यात्रा के खर्च का कुछ हिस्सा सरकार सब्सिडी के रूप में खुद वहन करती थी. ये सब्सिडी उन्हीं हज यात्रियों को मिलती थी, जो हज कमेटी के जरिए जाते थे. प्राइवेट टूर ट्रैवल से जाने वाले जायरीनों को ये सब्सिडी नहीं मिलती थी. मोदी सरकार ने मंगलावर को हज सब्सिडी का ये हिस्सा भी पूरी तरह से समाप्त कर दिया. अब हज यात्रा पूरी तरह जायरीनों के खर्च पर होगी.

वाजपेयी सरकार ने सब्सिडी खत्म नहीं किया था

1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. इस दौरान संसदीय कमेटी ने हज सब्सिडी खत्म करने की सिफारिश की थी लेकिन इसके बावजूद इसे सरकार ने इसे बंद नहीं किया. 2004 में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी. गौरतलब है कि 2006 से ही विदेश मंत्रालय और परिवहन और पर्यटन पर बनी एक संसदीय समिति ने हज सब्सिडी को एक समय सीमा के भीतर खत्म करने के सुझाव दिए थे. इसके बावजूद सरकार ने हज सब्सिडी को खत्म नहीं किया.

हज सब्सिडी को खत्म करने के लिए लिए PIL

बता दें कि बीएन शुक्ला और बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रफुल्ल गोरादिया ने सुप्रीम कोर्ट में PIL दायर की, जिसमें भारत सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय यात्रा में दी जाने वाली हज़ सब्सिडी को असंवैधानिक बताकर समाप्त करके का आग्रह किया गया था.

सुर्पीम कोर्ट ने कहा- हज सब्सिडी 10 साल में खत्म हो

हज सब्सिडी के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय ने 8 मई 2012 को सरकार ने आदेश दिये कि हज सब्सिडी को बंद किया जाए. 2012 में कोर्ट ने इसे 10 साल की समयसीमा में धीरे-धीरे खत्म करने का आदेश दिया था. इसके बाद से लगातार सरकार से मिलने वाली सब्सिडी में कटौती हुई. सरकार द्वारा जो पैसा 2012 से पहले जारी किया जाता था. वो साल दर साल घटता गया.

 अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के अनुसार 2012 में 836.55 करोड़ रुपये की हज सब्सिडी दी गई. इसके बाद से लगातार सब्सिडी का बोझ सरकार के सिर से कम होता गया. अगले ही साल यानी 2013 में केंद्र सरकार ने इसमें डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा की कटौती करते हुए 680.03 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की.

2017 में हज सब्सिडी पर महज 250 करोड़

2014 में इस राशि में से भी 100 करोड़ से ज्यादा रकम घटा दी गई और  सब्सिडी 577.07 करोड़ रह गई. 2015 में सब्सिडी में करीब 50 करोड़ की कमी आई. अब ये रकम घटकर 529.51 करोड़ रुपये हो गई. 2016 में 405 करोड़ रुपये बतौर हज सब्सिडी के रूप में सरकार ने दिए यानी सब्सिडी की रकम 836 से घटकर करीब आधी रह गई. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक 2017 में महज 250 करोड़ की हज सब्सिडी दी गई और अब 2018 में हज सब्सिडी को मोदी सरकार ने पूरी तरह से खत्म कर दिया है.

लगातार बढ़े जायरीन

सरकार ने भले ही हज सब्सिडी खत्म करने का फैसला किया है. बावजूद इसके बीते कुछ साल से जायरीनों की संख्या में बढ़ोतरी ही हुई है. 1996 में जहां 75346 हज़ यात्री मक्का गए थे वहीं ये साल 2000 में ये आंकड़ा बढ़कर 113909 हो गया.

साल 2012 में येहज यात्रियों की संख्या बढ़कर 169961 हो गई, लेकिन 2013 में ये घटकर 135938 हो गई. सऊदी अरब से संबंधों के आधार पर ये कोटा बढ़ता घटता रहा है. लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद धीरे-धीरे ये फिर से यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ.

साल 2014 में हज यात्रियों की संख्या 135966 जो कि 2017 में बढ़कर 169940 हो गई. इस साल भारत से बिना सब्सिडी के ही 175000 जायरीन हज़ पर जायेंगे. इसके अलावा 1300 महिला हज यात्री ने इस बार अकेले (बिना परिवार या पति के) हज जाने के लिए आवेदन किया था जिसे मंजूरी दे दी गई है. महिला अधिकारी इनकी मदद के लिए रहेगी और इनके रुकने/ठहरने की अलग व्यवस्था की जाएगी.