‘हम ही नहीं जगे थे अकेले छत्रपति भी जगे थे हमारे साथ’, पिता की हत्या के बाद लिखी थी कविता

ख़बरें अभी तक। गुरमीत राम रहीम और अन्य तीन आरोपीयों को छत्रपति हत्याकांड मामले में सजा सुनाई जानी है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में 17 जनवरी याऩि आज पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में आने वाले फैसले से पहले, पहली बार पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की बेटी श्रेयसी सामने आई हैं। उन्होंने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के लिए फांसी की सजा की मांग की है। श्रेयसी ने कहा कि उनके परिवार ने एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है और उनकी मां ने काफी कुछ झेला है लेकिन अब जिस तरह से गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिया गया है तो उसके बाद उन्होंने अपनी मां की आंखों में संतुष्टि देखी है।
श्रेयसी ने पिता की हत्या वाले दिन पर एक कविता भी लिखी है। इस कविता में श्रेयसी ने उस दिन के पूरी कहानी और हालातों को बयां किया है।

श्रेयसी छत्रपति की कविता

अब कातिल कभी सो नहीं पायेगा
उस रात कोई नहीं सोया था
न घर में बैठे हम
न आईसीयू के बाहर चिंतित खड़ी मां

उस रात के बाद हम कई दिन नहीं सोये
पापा के घर लौटने के इंतज़ार में,
और फिर पापा लौट आये
उसी कफ़न में लिपटे हुए
जो बड़े जूनून के साथ उन्होंने
अपने साथ रखा था हमेशा
और फिर उस कफ़न पर लिपटे फूलों ने
कभी सोने नहीं दिया हमे
उन रातों में
हम ही नहीं जगे थे अकेले
छत्रपति भी जगे थे हमारे साथ
और कहते रहे
सो मत जाना
मेरे चैन से सो जाने तक
वह कहते रहे
सो मत जाना
कातिल के सलाखों में जाने तक
अब पापा चैन से सो रहे हैं
और जेल के अँधेरे में जग रहा है कातिल
आज रात कातिल सो नहीं पाएगा
छत्रपति का कफ़न उसके गले का फंदा बन
हर झपकी से उसे अचानक
जगायेगा, डरायेगा, रुलाएगा
हाँ ! कातिल अब कभी सो नहीं पायेगा