मकर संक्रांति विशेष: सुर्यदेव का मकर राशि में प्रवेश

ख़बरें अभी तक:जिसे  सौरमंडल के अधिष्ठाता सूर्यदेव आज  शाम 7 बजकर 53 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. यह परिवर्तन मकर संक्रांति कहलाता है। पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। आगामी 6 माह तक सूर्यदेव उत्तरायण में रहेंगे। उत्तरायण का आगमन नव ऊर्जा उत्साह और उमंग का प्रतीक माना जाता है। विवाहादि मांगलिक आयोजनों की शुरूआत भी उत्तरायण के साथ ही होती है।

इस बार की मकर संक्रांति किन-किन कारणों से रहेगी खास

शाकंभरी नवरात्रारंभ- मकर संक्रांति से शाकंभरी नवरात्र का आरंभ हो रहा है. पौष कृष्ण पक्ष की अष्टमी से पौष पूर्णिमा तक मां शाकम्भरी नवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। शाकंभरी को वनस्पति की देवी माना जाता है। इन्हें अन्नपूर्णा भी कहा जात है। पांडवों ने परिजन हत्या दोष मुक्ति के लिए मां की पूजा आराधना की थी।

दुर्गाष्टमी- मकर संक्रांति इस बार अष्टमी को है। अष्टमी तिथि न सिर्फ दुर्गा मां की साधना-आराधना की तिथि होती है बल्कि ग्रहगोचर में  आज के दिन सूर्य-पृथ्वी-चंद्रमा के बीच 90 डिग्री का कोण बनाता है। यह समय प्रकृति के नजरिए से समत्व का होता है, शक्ति अर्जन और ध्यान योग का होता है।  इस तिथि के आसपास प्राकृतिक आपदाओं की आशंका से सबसे कम होती है। समुद्र भी ज्वार-भाटा से मुक्त रहता है। महत्वपूर्ण संकल्पों को ऐसे समय में बल मिलता है।

 सिद्ध योग- संक्रांति काल में सिद्ध योग है. यह योग समस्त कार्यों को सिद्ध करने वाला है. पुण्य बढ़ाने वाला है. इसके प्रभाव से उत्तरायण सूर्य इस बार समस्त चराचर के लिए सुख सौभाग्य लेकर आएगा, साथ ही धनधान्य और समृद्धि बढ़ाने वाला साबित होगा। सिद्ध योग 15 तारीख को प्रातः 6 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. इस पुण्यकाल में स्नान-दान से लोगों के समस्त कार्य सिद्ध होंगे.