हिमाचल: डिलीवरी के बाद भारी बर्फबारी में पालकी पर घर पहुंचाए जच्चा बच्चा

ख़बरें अभी तक। देश को आजाद हुए बेशक आज दशकों बीत गए। लेकिन भारत के कई ऐसे ग्रामीण इलाके आज भी विकास की धारा से कोसों दूर है। ऐसे में उन ग्रामीणों का दर्द तब बढ़ जाता है जब प्रकृति उनका इम्तिहान लेती है। सड़क सुविधा से महरुम जिला कुल्लू की तीर्थन घाटी की नोहांडा पंचायत में एक महिला व उसके नवजात बच्चे को भारी बर्फबारी के बीच अस्पताल से छुट्टी होने के बाद चार किलोमीटर कुर्सी पर उठाकर गांव पहुंचाया गया।

दरअसल, नोहांडा पंचायत के नांही गांव की भगती देवी को कुल्लू के क्षेत्रीय अस्पताल में डिलीवरी के बाद छुट्टी दी गई और इसके बाद महिला और नवजात को कुल्लू से गुशैणी तक 108 एंबुलेंस में पहुंचाया गया। लेकिन सड़क से महिला के घर तक भारी बर्फबारी के बीच सड़क न होने के कारण करीब चार किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करना पड़ा।

बता दें कि इस महिला को पहले भी लकड़ी की कुर्सी पर बिठाकर पहाड़ी पगडंडियों में उबड़-खाबड़ रास्ते पर ही चार किलोमीटर का पैदल सफर करके गंतव्य तक पहुंचाया गया था और वहां से कुल्लू असप्ताल में भर्ती करवाया गया। गौर रहे कि बंजार विधानसभा क्षेत्र की 11 पंचायतों के कई गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं और लोगों को सड़कें न होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

बंजार घाटी के शिल्ही, मशियार, नौहांडा, श्रीकोट, पनिहार, शांघड़, गाडापारली, देहुरीधार सहित कई पंचायतें के दारन, शूंगचा, घाट, लक्कचा, नाही, शालींगा, टलींगा, डींगचा और झानीयार सहित कई गांव के लोग आज भी सड़क सुविधा से काफी दूर हैं।

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र के लोगों को आज तक राजनेताओं से सड़क के नाम पर महज कोरे आश्वासन ही मिलते रहे हैं। उनके अनुसार इस क्षेत्र के लोगों का दर्द कोई भी नहीं समझ सका है और सड़क के नाम से कई सालों से महज कागजी घोड़े ही दौड़ रहे है। जिससे जनता को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। तीर्थन घाटी के लोग इस इंतजार में है कि कब सरकार की नजर-ए-इनायत होगी और उनकी अपनी दहलीज तक सड़क पहुंचेगी।