पूरी दुनिया को झकझोर कर रख देने वाला ‘निर्भया कांड’ मामले की छठी बरसी आज

ख़बरें अभी तक। पूरी दुनिया को झकझोर कर रख देने वाली और रौंगटे खड़े कर देने वाली 16 दिसंबर 2012 की रात जब निर्भया अपने दोस्त के साथ मुनिरका के साथ बस स्टैंड पर खड़ी थी। और इस बीच, सफेद रंग की एक बस वहां आकर रुकी। बस में पहले से चालक समेत छह लोग मौजूद थे। तभी निर्भया अपने दोस्त के साथ द्वारका के लिए बस में सवार हो गई। वहीं से कुछ ही दूरी पर दरिंदों ने निर्भया से छेड़छाड़ शुरू कर दी। निर्भया के दोस्त ने छेड़छाड़ का विरोध किया तो उन लोगों ने उस पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया। इसके बाद जो हुआ, उससे देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया सुन रह गई।

दरिदों से भरी बस दिल्ली की सड़कों पर घूमती रही। एक नाबालिग समेत पांच दरिंदे निर्भया पर राक्षस की तरह टूट पड़े। दरिदों ने बारी-बारी से निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस सबके बाद उन्होंने जंग लगी लोहे की एक रॉड को निर्भया के शरीर में डाल दिया। इस हैवानियत से निर्भया की आंतें शरीर से बाहर निकल आईं। खून से लथपथ निर्भया को निवस्त्र कर दरिंदों ने उसके दोस्त के साथ महिपालपुर के पास एनएच-8 पर कड़कड़ाती ठंड में फेंक दिया। सूचना मिलने के बाद पहुंची पुलिस ने निर्भया और उसके दोस्त को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया।

जैसे ही हैवानियत भरी ये ख़बर फैली तो राजधानी समेत पूरे देश में सनसनी फैल गई। और लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए अपना गुस्सा दिखाना शुरु किया। तभी तत्कालीन पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने प्रेसवार्ता कर चार आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी। यादव ट्रांसपोर्ट की इस बस को आरके पुरम सेक्टर-3 से बरामद कर लिया गया। लेकिन सबूत मिटाने के लिए बस को धो दिया गया था। बस चालक राम सिंह ने अपराध स्वीकार कर लिया। पूछताछ के बाद उसके भाई मुकेश, जिम इंस्ट्रक्टर विनय गुप्ता, फल बेचने वाले पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। अक्षय और नाबालिग को भी बाद में दबोच लिया गया।

वहीं 18 दिसंबर को इस हैवानियत की गूंज संसद में भी सुनाई दी। निर्भया कांड के बाद पूरे देश में उसे न्याय दिलाने के लिए आवाज उठने लगी। दिल्ली में बाकायदा आंदोलन भी चलाया गया। अस्पताल में भर्ती निर्भया की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती चली गई। इलाज के लिए उसे सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन 29 दिसंबर की रात 2:15 बजे निर्भया ने दम तोड़ दिया। वहीं निर्भया को इंसाफ दिलाने का मामला कोर्ट में विचाराधीन था कि एक आरोपी राम सिंह ने 11 मार्च 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर जान दे दी। जघन्य अपराध में शामिल नाबालिग दोषी को बाल सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 20 दिसंबर 2015 को छोड़ दिया गया। कोर्ट ने बाकी चार आरोपियों को 10 सितंबर 2013 को दोषी ठहराया और 13 सितंबर को सभी को फांसी की सजा सुनाई गई।

वहीं निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर कब लटकाया जाएगा, यह सवाल अभी कायम है। निर्भया के पिता का कहना है कि रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद अभी तक क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं किया गया है और न ही दया याचिका दाखिल की गई है। ऐसे में वे इस तथ्य को लेकर अंधेरे में हैं कि आखिर निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर कब लटकाया जाएगा। निर्भया की मां आशा देवी का कहना है कि निर्भया के अपराधी आज भी जिंदा हैं और यह कानून व्यवस्थआ की हार है।