सख्त आदेश के बाद भी स्कूल बैग के बोझ तले दब रहा है बचपन

ख़बरें अभी तक। स्कूल बैग के तले दबते बचपन को देखते हुए केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों को स्कूलों में बैग का बजन कम करने और पहली व दूसरी क्लास के बच्चों को होमवर्क न देने का निर्देश दिया है, मगर फरीदाबाद में सरकारी स्कूल ही सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यहां सरकारी स्कूलों में छोटे- छोटे बच्चे आज भी बड़े बड़े बैग कंधों पर लटकाकर ले जाते हुए दिखे तो वहीं पहली और दूसरी क्लास के बच्चों को अध्यापकों ने होमवर्क दे डाला।

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के सख्त निर्देष के बाद भी सरकारी स्कूल ही सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे है। स्कूलों में बच्चों के पीठ पर बस्ते का बोझ एक बड़ा मुद्दा रहा है। अभिभावकों ने जहां इसे लेकर चिंता जताई है, वहीं डॉक्टरों ने भी बच्चों की सेहत की दृष्टि से इसे सही नहीं बताया है। बस्ते के बोझ को कम करने को लेकर समय-समय पर संबंधित विभागों की ओर से निर्देश भी जारी होते रहे हैं। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए हैं।

इसमें राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया है कि वे स्कूलों में विभिन्न विषयों की पढ़ाई और स्कूल बैग के वजन को लेकर भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार नियम बनाएं। इसमें कहा गया है कि पहली से दूसरी कक्षा के छात्रों के बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी तरह तीसरी से 5वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के बैग का वजन 2-3 किलोग्राम, छठी से 7वीं के बच्चों के बैग का वजन 4 किलोग्राम, 8वीं तथा 9वीं के छात्रों के बस्ते का वजन 4.5 किलोग्राम और 10वीं के छात्र के बस्ते का वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए।

मगर फरीदाबाद में इन सरकारी आदेशों को किसी भी निजी स्कूल तो दूर की बात खुद सरकारी स्कूलों पर भी कोई फर्क नहीं पड़ा है, आज भी बच्चे भारी बैग लेकर स्कूल आ रहे हैं जहां पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को होमवर्क भी दिया जा रहा है। इस बारे में जब बच्चों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके बैग में अभी भी बजन होता है जिससे उन्हें सड़क पार करने और चलने में खासी दिक्कत होती है।

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के आदेश पर सरकार स्कूल की अध्यापिका ने जबाब देते हुए कहा कि सरकार के नियम तो बदलते रहते हैं, बच्चों के बैग अभी भी भारी है क्योंकि चार विषयों की किताबें, उनके साथ कॉपियां और फिर एक्सट्रा क्लासों की किताबें मिलाकर वजन बढ़ जाता है।

वहीं स्कूल के प्रिंसिपल कुंवरपाल ने अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा कि उन्होंने सरकार के निर्देषों के बाद बच्चों के बैग का वजन कम कर दिया है, जब प्रिंसीपल साहब से पूछा गया कि सरकार के बच्चों के लिये कौन-कौन से नियम आये एक बार बताये तो उनकी बोलती बंद हो गई और कहने लगे कि उनकी डायरी में लिखे हुए हैं।