आंदोलन के दौरान कर्मचारियों पर हुए अत्याचार, शरीर पर पड़े नील दिखाए

ख़बरें अभी तक। भिवानी: कर्मचारियों द्वारा रोडवेज के निजीकरण के विरोध मे की गई हड़ताल के बाद प्रशासन ने कर्मचारियों पर 31 अक्तूबर को लाठीचार्ज कर दिया था। लाठीचार्ज के दौरान कई कर्मचारी घायल हुए थे। कई कर्मचारियों की गिरफ्तारी भी हुई थी। कर्मचारियों ने आज पै्रस वार्ता कर प्रशासन द्वारा उन पर की गई प्रताड़ना का ब्खान किया तथा साथ ही कहा कि वे अब पूरे प्रदेश में भिवानी के डीसी व एसपी के खिलाफ आंदोलन चलाएंगे।

साथ ही महिलाओं को प्रताड़ित किए जाने के विरोध में अब कर्मचारी महिला आयोग व प्रशासन के अन्य अधिकारियेां को भी इस बात की शिकायत करेंगा। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि रात को साढ़े बारह बजे उन्हें जेल में डाला गया जबकि शाम 6 बजे के बाद जेल में गिनती हो जाती है। कर्मचारी नेताओं ने जेल प्रशासन पर आरोप लगाया कि वहां उनके साथ अपराधियों जैसा बर्ताव किया जाता था। यहां तक की खाने के नाम पर भी कुछ नहीं दिया गया।

कर्मचारी नेताओं ने आज अपने साथ हुए कथित जुल्म की दास्तां भी बताई। कर्मचारी नेता मास्टर वजीर सिंह व जनवादी महिला समिति की शहरी प्रधान बिमला घणघस ने बताया कि 31 अक्टूबर को अंदोलन को तोडने के लिए पुलिस ने उन पर लाटीचार्ज किया। यहां तक कि वे दवाई लेकर आ रहे थे तो सिविल लाइन थाने के निकट उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। आरेाप लगाया गया कि पुलिस ने बार बार उन्हें धमकाया ओर यहां तक यह तक कहा कि ऐसी ऐसी धाराएं लगाई जाएगी जिसमें पूरी जिदंगी ही जेल में काटनी पड़ेगी।

कर्मचारी नेताओं व अन्यों ने आरोप लगाए कि जब उन्हें हवालात में रखा गया तब उनके बदन पर एक की कपड़ा नही छोड़ा यहां तक की महिला बिमला घणघस को भी एक चुन्नी के अलावा कुछ नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि शाम को 6 बजे जेल बंद हो जाती। गिनती भी कर दी जाती है लेकिन रात को साढे बारह बजे उन्हें प्रशासन के कहने के बाद जेल में भेजा गया। उनकी थाने में भी खूब पिटाई की गई।

उनके शरीर पर आज तक नील पड़े हुए है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि वे अब डीसी व एसपी के खिलाफ भी इस लाठीचार्ज को लेकर मोर्चा खोलेगें तथा प्रदेश के हर जिले में डीसी व एसपी के खिलाफ आंदोलन करेंगे। महिला के साथ प्रताड़ना करने पर महिला आयोग को शिकायत की जाएंगी। साथ ही एक बैठक भी की जाएंगी जिसमें जनवादी महिला समिति जो भी निर्णय लेगी उसके तहत कार्रवाई की जाएगी।

पीड़ित कर्मचारी नेताओं ने बताया कि जेल में भी उनसे झाडू लगवाई जाती थी यहां तक की उनसे नालियां भी साफ करवाई जाती थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल में खाने पीने की भी व्यवस्था नही है। खाने में सास की बीमारी के बावजूद मूली की सब्जी खाने को दी जाती थी। बीमारी होने पर डॉक्टर को ना दिखाकर अपराधियों को ही टीके लगाना सीखाया हुआ है।

उन्ही से ही टीके लगवा दिए जाते थे। कर्मचारी नेता मास्टर वजीर सिंह ने कहा कि उन्हें बात करने के लिए गर्दन भी नीची करवाई जाती थी। कहां जाता था कि गर्दन ऊपर नहीं करनी यहां तक की लाईन लगवाई जाती थी। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह के मामले की जांच करे साथ ही एसपी व डीसी के खिलाफ कार्रवाई करें।