बॉक्सिंग का अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी कुल्फी बेचने पर मजबूर

ख़बरें अभी तक। बॉक्सिंग के रिंग में बड़े बड़ों के छक्के छुड़वाने वाला खिलाड़ी दिनेश इन दिनों कुल्फी की रेहड़ी पर फेरी लगाने पर मजबूर है। उसे यह इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि चोट लगने के कारण उसके पिता ने ईलाज के लिए किसी से उधार में पैसे लिए थे। पैसे उधार लेने के कारण वह उन पैसों को इसलिए नहीं चुका पाया क्योंकि पारिवारिक स्थिति कमजोर थी। अब वह चोट लगने के कारण खेल भी नहीं खेल पा रहा है। उसकी मजबूरी अब इतनी बढ़ गई है कि वह प्रतिदिन रेलवे फाटक के पास रेहड़ी पर फेरी लगाकर कुल्फी बेच रहा है, जबकि उसने कई अंर्तराष्ट्रीय मैच जीतकर देश व प्रदेश का नाम रोशन किया है।

सरकार चाहे खिलाड़ियों के लिए कितनी बड़ी बड़ी खेल नीति बनाने के दावे करे लेकिन ये दावे हर दफा हवाई ही साबित हो रहे हैं। एक खिलाड़ी दिनेश जिसने अपना लोहा मनवाया लेकिन बॉक्सिंग में चोट लगने के कारण उसे ईलाज के लिए उधार पैसे लेने पड़े। इससे पहले भी कहीं दूर दराज खेलने के लिए जाने के लिए भी उसे पैसे उधार लेने पड़ते थे क्योंकि दिनेश के पिता भी रेहड़ी पर फेरी लगा कर अपना तथा अपने परिवार का पेट पालते थे। ऐसे में कहीं दूर दराज खेलने के लिए जाने के लिए उनके पास किराए व रहने खाने के पैसे नहीं होते थे। दिनेश के पिता का भी सपना था कि उनका बेटा बढिय़ा बॉक्सर बने तथा देश व प्रदेश का नाम रोशन करे। दिनेश उसी राह पर चल भी रहा था लेकिन चोट लगने के कारण वह जिदंगी के इस खेल से हार गया तथा उसे खेल को छोडऩा पड़ा।

पहले खेलने के लिए बाहर जाने के लिए कर्ज लेना पड़ता था, लेकिन एक उम्मीद थी कि कभी सरकार खेल को देखकर नौकरी या ईनाम देगी तो सारा कर्ज उतर जाएंगा। दिनेश ने खेल में काफी रंग दिखाया। उसने 17 गोल्ड मेडल लिए, 1 सिल्वर तो 5 ब्रॉज मेडल लेकर देश व प्रदेश का नाम रोशन किया। खेल प्रतिस्पर्धा में इतना नाम कमाने के बावजूद उसे नौकरी नहीं मिली।  एक दिन सडक़ दुघर्टना में दिनेश को चोट लग गई। चोट के कारण उसके पिता व भाई को दिनेश के ईलाज के लिए पैसा जुटाना पड़ा। पैसा उधार लेने के बाद उसका ईलाज हुआ ओर जिदंगी बच गई लेकिन खेल छूट गया। राशी इतनी हो गई कि उसका ब्याज भी ज्यादा हो गया।

दिनेश का कहना है कि उसने खेलने में कोई कोर कसर नही छोड़ी। खूब नाम कमाया ओर देश को 17 गोल्ड मेडल, 1 सिल्वर व 5 ब्रॉज मेडल दिए। उनका कहना है कि देश के लिए उसने सब कुछ किया लेकिन सरकार ने उसके लिए कुछ नही किया। उन्होंने बताया कि ना तो पिछली सरकार ने ना ही इस सरकार ने कुछ किया। जिसकी वजह से आज वह कुल्फी बेचने पर मजबूर है। उन्होंने बताया कि उनके पिता भी फेरी लगाकर कुल्फी बेचते हे तथा वे भी उनका हाथ बंटाते है ताकि घर का खर्चा पूरा हो सके साथ ही उधार लिया हुआ पैसा ब्याज सहित दिया जा सके।

दिनेश के भाई का भी यही कहना है उनका कहना है कि दिनेश ने खेल में सब कुछ किया लेकिन सरकार की अदासीनता के कारण उसे मुकाम हासिल नही हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मदद करे तथा उन्हें नौकरी या फिर आर्थिक मदद मुहैया करवाएं ताकि उनका उधार चुकता हो सके। वहीं दिनेश के कोच विष्णु भगवान का कहना है कि उनका खिलाड़ी काफी तेज तर्रार था। उसने जुनियर वर्ग में काफी मेडल जीते है लेकिन चोट के कारण व खेल से हार गया तथा उसे अब कुल्फी बेचनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि अगर उसकी मदद की जाएं तो वह कर्ज के बोझ से मुक्त हो सकता है। उन्होंने भी सरकार से मांग की है कि अगर सरकार दिनेश की मदद करे तो वह कर्ज से भी छूट जाएगा तथा उसका भविष्य में सवर जाऐगा। बहरहाल अब बड़ा सवाल ये कि आखिर सरकार व खेल विभाग इस खिलाड़ी की सुध कब लेगा।