अवैध खनन रोकने पर सरकार के सारे दावे फेल

खबरें अभी तक। “अवैध खनन” एक ऐसा दाग जो सूबे की मनोहर लाल सरकार के दामन पर गहरे धब्बे की तरह फैलता ही जा रहा है। प्रदेश के जिला पंचकूला की नदियों में अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार से लेकर प्रशासन तक किए गये बड़े से बड़े दावे धराशाही होते नजर आए है। नदियों में खनन का ठेका लेने वाले ठेकेदार ही क्षेत्र में अवैध खनन का गोरखधंधा तेजी से चला रहे है। खनन माफिया मोटा मुनाफा कमाकर आम खा रहा है और प्रशासन दिखावे के तौर पर महीने में चार पांच गाड़िया पकड़ कर गुठलियां गिनवाने में लगा रहता है।

बिना प्रशासन की मिलीभगत के इतने बड़े स्तर पर अवैध खनन करना आसान बात नही है। इस पूरी रिपोर्ट को तैयार करने के लिए संवाददाता ने खुद पूरे घटनाक्रम का जायजा लिया और उसे अपने कैमरे में कैद भी किया। पिछले करीब एक वर्ष से तो प्रशासन का रवैया बहुत ही सुस्त नजर आ रहा है। पिछले कुछ महीनों पहले तो ग्रामीणों ने खनन का कार्य बंद करवाने के लिए न्यायालय तक का रास्ता अपनाया था लेकिन असफलता हाथ लगने के कारण जनता का प्रशासन और सरकार से मोह भंग हो गया है।

सूबे में बहुत बड़े स्तर पर चल रहा अवैध खनन का गोरखधंधा आगामी चुनावों में मौजूदा मनोहर सरकार के लिए सरदर्द बनकर उभर सकता है। जनता ने तो मन बना लिया है कि क्यो न चुनावों से पहले ईमानदारी का राप अलापने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल से अवैध खनन पर जवाबदेही हाजिर करवाई जाये। जनता की मांग है कि सरकार आगामी विधानसभा शीतकालीन सत्र में अवैध खनन पर “श्वेत पत्र” भी जारी करे।